तब तक, जब तक नहीं जागेंगे आप और हम।
आज प्रकाश के पुनीत-पर्व पर लें संकल्प,
समाज का करेंगे कायाकल्प।
तिमिर का होगा सफाया जग से,
विचलित ना होना पथिक अपने 'जीवन मग' से।
नवीन मानव की नवीन गर्जना,
करेगी नवीन भारत की नवीन सर्जना।
छंट जायेगा मन का अँधियारा,
आएगी हर चेहरे पर हरियाली।
चमक उठेगा जग सारा,
और मनेगी सच्ची दिवाली।
------आकाश कुमार (15 वर्ष)
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