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कथा‍-कहानी

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अनमोल वचन

Saturday 28 June 2014

The foolish thing, love- Alok Chandra

What a foolish thing love is!
Not divine but a dream,
Which never comes true.

It snatches up our heart & mind
And gives an everlasting pain,
Throughout the life span.

One who gets this,
It takes him to wrong & wrong;
Up to there from where
He can never come.

It snatches up
Whatever one has;
And leaves him to
Bewilder alone.

Alok Chandra
Motihari

मुसाफ़िर- अभिनव सिन्हा


अंधेरी रात,
पैदल मुसाफ़िर,
अकेले सुनसान सी सड़क
की ओर कदम बढ़ाता।

थका हारा,
प्यासा,
विचलित,
डसती हुई तनहाई।

कोसों दूर मंज़िल,
उसी की तलाश में,
उत्सुक,
आवारा।

लौ की भांति
टिमटिमाती,
आशा की किरण,
दिखी और बुझी।

जोश,
उत्साह,
साहस,
सब धरे के धरे रह गये।

अभिनव सिन्हा
अररिया पब्लिक स्कूल
अररिया

Friday 27 June 2014

दाह-संस्कार (कहानी)- अक्षय आकाश




भावना के नए आयाम के साथ इस कहानी को वरिष्ठ ब्लॉगर अर्चना चावजी की आवाज़ में यहाँ सुनिए।



सुबह सुबह जब मैं निद्राधीन था तब मेरी बहन के एक वाक्य ने मुझे निद्रा विहीन कर दिया– बड़े काका अब नहीं रहे !....

इतना सुनते ही मैं परिवार के अन्य सदस्यों के पास गया जो यह विचार कर रहे थे की आगे क्या करना है. एक घंटे में हम सभी गाँव के लिए रवाना हो गए. आदतन मेरे कान में इयरफोन पड़ा था. मैंने गाड़ी की खिड़की से अपना सिर बाहर निकाला. उसी क्षण मेरी आँखों से अश्रुधारा प्रवाहित होने लगी. कारण स्पष्ट न था. क्या यह काका के जाने का दुःख था? या पिछले दिनों मेरे जीवन में आया तूफ़ान ? या फिर इयरफोन से सुनाई दे रहा दुःख भरा गीत ? हो सकता है बाहर से आने वाली हवा के थपेड़ों की वजह से ही मेरी आँखों में पानी आया हो. अब गाँव में दस दिन और बिताने की मजबूरी थी जिसकी वजह से मैं कॉलेज सही वक़्त पर नहीं पहुँच पाता.

गाँव में पांव देते ही हमारा स्वागत स्त्रियों के क्रंदन से हुआ जो काका के पार्थिव शरीर को घेरे हुए थीं. मेरी समझ में नहीं आ रहा था- कहाँ जाऊं ? घर में हरेक आँख नम थी. कुछ समय पश्चात गाँव के बड़े-बुज़ुर्ग विधिपूर्वक दाह-संस्कार करने की तैयारी में लग गए. उनकी अर्थी को कंधा देने का समय आया. पीछे मैं और मेरे भैया (काका के छोटे पुत्र) और आगे मेरे पिता और चाचा थे. वे शायद जीवन में कभी एक दूसरे के साथ न रहे हों. ऊपर से काका यह देख कर स्वयं को खुशनसीब समझ रहे होंगे कि उनके दोनों अनुज जिनमें दीर्घकाल से मनमुटाव चल रहा था आज साथ खड़े थे. शायद इसी कामना से काका ने ऐसे समय पर देह का त्याग किया हो. क्या यह मेरे पिता एवं चाचा के दीर्घकालिक मनमुटाव का दाह-संस्कार था ?


कमला नदी (इसे कमलेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है) के घाट पर काका का अंतिम संस्कार होना था. वहां पहुँचकर उनके शव को स्नान करवाकर, नई धोती धारण करवाई गयी. तत्पश्चात, उनके शरीर को चिता पर रख कर उसपर घी और तेल का लेप किया गया जिसका कारण मेरी समझ में नहीं आया- क्योंकि घी वो खाते नहीं थे और तेल वो लगाते नहीं थे. तभी ख़याल आया कि यह सब तो अग्निदेव को समर्पित करने के लिए हो रहा है। ख़ैर, उनकी चिता को उनके ज्येष्ठ पुत्र ने अग्नि दी जिनकी चार दिन पहले शादी हुई थी और एक दिन पहले चतुर्थी. और तीन दिनों के बाद दुल्हन का गौना था. प्रकृति का ऐसा विरोधाभास मैंने अपने जीवन काल में पहली बार देखा था. क्या ये उस पुत्र की इच्छाओं का दाह संस्कार था या उसकी दुल्हन की चाहतों का. जो अपने गौने पर पति के साथ ससुर का आशीर्वाद लेने को व्याकुल थी.



शवदाह के पश्चात सभी 33 लोग जो वहां उपस्थित थे नदी में स्नान करने गए. नदी में प्रवेश करते समय सभी के पैर मिट्टी से सन गए. मुझे लगा यह मिट्टी हमारे दुर्गुणों का प्रतीक है जो नदी में डुबकी लगाने के बाद धुल जायेंगे. परन्तु नदी से बाहर आते ही हमारे पैर पहले से अधिक मिट्टी में सन गए थे. लोग दूसरे रास्ते से एक कतार में “राम नाम सत्य... हरी ॐ...” कहते हुए घर पहुँचे जहाँ आँगन में लौह, जल, अग्नि और पत्थर के स्पर्श के पश्चात ही “कुछ और” किया गया. मैंने एक बुजुर्ग से पूछा- “ऐसा क्यों ?” जवाब मिला- पंचतत्व का स्पर्श. पांचवा तत्त्व – वायु. पर मेरी समझ में नहीं आया कि पंचतत्व में लौह और पत्थर कब से सम्मिलित हो गए ?

मैंने पंडित जी से आगे का क्रम पूछा तो उत्तर मिला, तीन दिनों तक घर में चूल्हा नहीं जलेगा, घर में पूजा नहीं होगी, दसवें दिन सभी पुरुष केश और दाढ़ी-मूंछ का मुंडन करवाएंगे आदि आदि.... तत्काल, इन सब का कारण पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. मैं सोचता ही रह गया कि क्या मेरे काका की आत्मा को अपने परिवार को आधा भूखा देखकर शांति मिलेगी ? हमें उदास देख कर क्या वह खुश होंगे ? सवाल तो अनेक थे परन्तु पूछने की हिम्मत नहीं थी.

उपस्थित लोगों को इसका तनिक भी आभास न था की परिस्थितियां विवाह से श्राद्ध में परिवर्तित हो जाएँगी. यह अनुभव दर्शाता है की जीवन में किसी भी क्षण कुछ भी हो सकता है. फिर यह सब आडंबर किस हेतु ? मृत्यु अपने स्वयंवर में खूबसूरत से खूबसूरत नौजवान को भी नहीं छोडती. इसपर किसी का वश नहीं है क्योंकि यहाँ न कोई सावित्री है न कोई रावण. अगले ही क्षण ख्याल आया- जब तक जिंदा हैं जी लेते हैं, मौत को मरणोपरांत ही देखेंगे.


आगे क्या होगा ? यही सोचते हुए दिन बीत गया. क्या पिताजी और चाचा के मनमुटाव का दाहसंस्कार होगा ? या हमारे दुर्गुणों का ? क्या होगा उस पुत्र का जिसकी अभी अभी शादी हुई है ? कैसी होगी घरवालों की ज़िन्दगी ? तभी आनंद फिल्म का एक डायलोग याद आया, ज़िन्दगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए. और मैं अश्रुयुक्त मुस्कान सहित पुनः निद्राधीन हो गया...   

अक्षय आकाश जीवन मग की संपादन समिति के सदस्य हैं. आप दिल्ली विश्वविद्यालय के क्लस्टर इनोवेशन सेन्टर में बीटेक मानविकी के छात्र हैं.


अर्चना चावजी को पढ़ने और उनकी आवाज़ में कुछ और बेहतरीन कहानियां तथा गीत सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें- http://archanachaoji.blogspot.com/


समुंदर सी दो आँखें- अबूज़ैद अंसारी

 


अब तक जो मेरी सोच से बाहर थी जो आँखें
ख्वाबों में ना सोची थी कभी सागर सी वो आँखें।
टकराई है जबसे ये नज़र, उनमें डूब गया हूँ
वल्लाह ! अजब बात, मैं झूठा नहीं हूँ ।।

क़ुदरत के नज़ारे तो बहोत सारे थे देखे
दरिया भी कभी देखी, समुंदर कभी देखे।
रातों में सितारे भी नहीं हों ऐसे रोशन
वल्लाह ! ऐसी रोशन समुंदर सी दो आँखें।।

उन आँखों से टकराई ही क्यों? 
मेरी पत्थर सी ये आँखें।
पाने की चाह दिल में उस शख्श को जागी है 
जिस शख्श को हासिल ये समुंदर सी दो आँखें।।

वो दूरी बनाकर मुझे तड़पाता बहोत है 
अफ़सोस नहीं मुझको सितम ढाता बहोत है।
दिल की गहराई से करता हूँ शुक्रिया 
जब देखतीं हैं मुझको वो समुंदर सी दो आँखें।।

अब तक जो मेरी सोच से बाहर थी जो आँखें 
ख्वाबों में ना सोची थी कभी सागर सी वो आँखें।
लिखता नहीं "ज़ैद" यूँ ग़ज़ल सफ़र में 
याद आती हैं हरदम उसे वो समुंदर सी दो आँखें।।

 
अबूज़ैद अंसारी  जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं.


Thursday 26 June 2014

देखो बादल बरस रहे हैं- अबूज़ैद अंसारी

नील गगन हुआ श्यामल श्यामल,
मेघों ने साम्राज्य बसाया। 
जल को जन क्यों तरस रहे हैं ?
देखो बादल बरस रहे हैं।

अणु-अणु हुआ शीतल-शीतल
ठंडी मलय व ठंडा सा जल। 
अधरों पर मुस्काहट लेकर
नभ को सब जन तक रहे हैं।

देखो बादल बरस रहे हैं।

पौधों-पत्तों में हरियाली
जन-जन में फैली खुशहाली
धरती के गर्भ से अब अंकुर
फ़ूट-फ़ूट कर उपज रहे हैं।

देखो बादल बरस रहे हैं।

अबूज़ैद अंसारी  जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं.

Tuesday 24 June 2014

भ्रष्टाचार और रामराज्य- उमेश कुमार मिश्र

जीवन मैग को लिखे पत्र में अमरपाटन, सतना (मध्य प्रदेश) से उमेश कुमार मिश्र लिखते हैं- भ्रष्टाचार मिटाने के लिए रामराज्य के सिद्धांत को लागू किया जाये।

जीवन मैग को लिखे पत्र आप इस पते पर भेज सकते हैं-

नन्दलाल मिश्रा, प्रबंध संपादक (जीवन मैग), वी.के.आर.वी राव हॉस्टल, दिल्ली विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली- ११०००७

आपके इमेल्स का हमें इंतज़ार रहेगा। हमारा ईमेल पता है-  akash@jeevanmag.tk

पढ़ते रहिये- www.jeevanmag.com

Monday 23 June 2014

सपना- ममता किरण

जीना सपनों को,
सपनों में जीना;
जीवन का सपना
मेरा वह सपना।


ममता किरण  
शोधार्थी (हिन्दी) 
बिहार विवि, मुज॰

बेटियाँ- ममता किरण

प्रतिक्रियाएँ‍-बहसें,
बड़बड़ाना-गुस्साना,
उबते ही-
पन्ने की-सी पलट देना,
दैनिक समाचार-
पत्रों जैसी;
सबरंग बातें-
सुनाई जाती हैं।
क्या बेटियाँ-
इसीलिए पराई बताई जाती हैं?

ममता किरण  
शोधार्थी (हिन्दी) 
बिहार विवि, मुज॰

 

Sunday 15 June 2014

बीजेपी नेता मुफ़्ती शमून क़ासमी से रु-ब-रु जीवनमैग.कॉम के आकाश और अमिनेष




आकाश-  जीवनमैग.कॉम के सुधी पाठकों को आकाश का नमस्कार। मेरा साथ दे रहे हैं अमिनेष आर्यन। जीवन मैग पे आज हम शुरु कर रहे हैं साक्षात्कारों की एक विशेष श्रृंखला और आज हमसे रुबरु हैं टीम अन्ना के संस्थापक सदस्यों में से एक तथा अब भारतीय जनता पार्टी के नेता मुफ़्ती शमून कासमी। जीवन मैग के पाठकों तथा / ब्लॉगिंग के जरिए इस साक्षात्कार को सुन रहे श्रोताओं को बता दें कि कासमी साहब उत्तर प्रदेश के बिजनौर से ताल्लुक रखते हैं। यह ग़ौरतलब़ है कि मोदीजी को 10 RCR तक पहुँचाने में यू.पी ने अहम भूमिका अदा की है...80 सीटों में से 73 सीटें मिली हैं बीजेपी यानि भारतीय जनता पार्टी को।
तो आप इस जीत को कैसे देखते हैं। क्या यह लोगों की मानसिकता में बदलाव का परिचायक है? या सिर्फ केवल व्यापक तथा प्रभावशाली प्रचार का नतीजा?

कासमी साहब‍- आकाश, तुम्हारा धन्यवाद तथा एक अच्छी वेबसाइट शुरु करने के लिए बहुत‍-बहुत बधाई। जो हालिया पारलिमानी इलेक्शन्स हुए हैं और उनमें जो मोदीजी की जीत हुई है वो दरअसल उन उम्मीदों की जीत है जो लोग दबे-कुचले थे, गरीब थे, कमज़ोर थे और करप्शन से दुखी थे। उत्तर प्रदेश की भूमिका इसमें काफी अहम है। 80 में से 73 सीटें आना यकीनन मोदीजी के उन प्रयासों की और उन विचारों की जीत है जिसमें वे "सबका साथ, सबका विकास" को लेके चले।

आकाश-  उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में क्या भाजपा का जादू बरकरार रह पायेगा? लोकसभा चुनावों में आपके पास मोदी थे पर यू.पी में अगर नज़र डालें तो स्थानीय स्तर पर कोई ऐसा दमदार चेहरा नज़र नहीं आता जिसे आप मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकें।

कासमी साहब-‍ भारतीय जनता पार्टी की जीत चेहरों के नाम पर...जहाँ तक आप मानते हैं कि मोदी जी का चेहरा था, यकीनन एक चेहरा था और मैं उससे डेनाइ नहीं करुंगा। मगर भारतीय जनता पार्टी की जीत उसके विचारों की जीत है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी इस वक्त जैसे मोदीजी ने 125 करोड़ की बात की, उसी तरह से जो यूपी के करोड़ों लोग हैं वो करप्शन से दुखी हैं, वो कुशासन से दुखी हैं। उस कुशासन को तोड़ने के लिए, करप्शन से लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ उत्तर प्रदेश की जनता आयेगी मुझे ऐसा लगता है।

आकाश-    एक तरफ भाजपा मुसलमानों से किसी भी प्रकार के भेदभाव से इनकार करती है तो दूसरी तरफ पार्टी का कोई भी लोकसभा सांसद मुस्लिम नहीं है, एक शाहनवाज़ थे वो भी हार गये। मोदी कैबिनेट में भी सिर्फ एक मुस्लिम, नज़मा हेपतुल्ला जी हैं। तो इस पर आप क्या कहेंगे?

कासमी साहब‍- देखिए कुछ चीज़ें ऐसी हैं, जैसे भारतीय जनता पार्टी के उसमें कोई मुस्लिम जीत के नहीं आया...ये एक दुर्भाग्य रहा है। और मैं ये समझता हूं कि जिस तरह से मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के अंदर बदलाव आया है और जो मौजूदा नेतृत्व है...माननीय राजनाथ सिंह जी और जो टीम है वह इस पर विचार कर रही है और इस पर विचार करेंगे कि मुसलमानों का नेतृत्व कैसे बढ़ सकता है। पर बात यहाँ मुसलमानों के प्रतिनिधित्व से नहीं है, मुसलमानों की समस्याओं से है। हम चाहेंगे कि मुसलमानों को विकास के अंदर साझेदारी होनी चाहिए, रोजगार में होनी चाहिए, एजुकेशन में होनी चाहिए और जैसा कि मोदीजी ने कहा है कि मुसलमानों के एक हाथ में कम्प्युटर और एक हाथ में कुरआन, इसका बहुत अच्छा मैसेज मुसलमानों में है।

आकाश- पुणे में जो कुछ हुआ उसे हम केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने की प्रतिक्रिया के रुप में क्यूँ न देखें? ऐसा कहा जा रहा है कि असामाजिक तत्वों को बल मिला है तो सरकार उनसे निपटने के लिए क्या कर रही है?

कासमी साहब‍- जो आपने कहा कि कोई हिन्दू राष्ट्र सेना...तो ऐसे लोग हो सकते हैं पर इनका भारतीय जनता पार्टी से इनका कोई लेना-देना नहीं है बल्कि मैं समझता हूँ कि भारतीय जनता पार्टी सेकुलरिज्म के सिद्धांतों पर विश्वास रखती है तथा सबको साथ लेकर चलने की बात मोदीजी ने कही है कई बार और पूरा पार्टी नेतृत्व कह रहा है और अगर ऐसे लोग हैं तो उनका ताल्लुक भारतीय जनता पार्टी से नहीं है बल्कि उनका ताल्लुक उस उग्र विचारधारा से है जिसका ताल्लुक किसी मजहब से नहीं।

आकाश- यह बात कही तो गई है पर क्या समाज में इसका प्रोपर संदेश गया है?

कासमी साहब‍- जी बिल्कुल संदेश गया है और संदेश जायेगा। और मैं समझता हूँ कि जिस तरह देश जो है वो एकता और भाईचारे की तरफ बढ़ रहा है भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वो एक अलग में एक मिसाल बनेगा, और कीर्तमान बनायेगा। भारतीय जनता पार्टी जो है वो नरेन्द्र मोदीजी के नेतृत्व में विश्व के अंदर एक रिकॉर्ड बनायेगी।

आकाश- भाजपा के मिशन यू.पी में आपका क्या योगदान होगा? 
       आपको कौन सा दायित्व दिया जायेगा?

कासमी साहब‍- देखिए जो भी मुझे ज़िम्मेदारी दी जायेगी, मैं उस ज़िम्मेदारी को निभाने की भरपूर कोशिश करुंगा। मेरा उद्देश्य ये है कि जो इंडिया अगेंस्ट करप्शन की जो टीम थी, मुस्लिम के साथ साथ मैं उसे भी जोड़ रहा हूँ, जो एक अन्ना आंदोलन था उस आंदोलन से। अरविंद केजरीवाल की गलत नीतियों से वो जो नाराज़ हैं या वो जो गुमराह हैं हम उन्हें भी लाने का प्रयास करेंगे। और उसके साथ‍ साथ मुसलमान तो भारतीय जनता पार्टी के साथ बड़ी तेजी से जुड़ेंगे। पार्टी ने मुझे ये ज़िम्मेदारियाँ दीं तो मुसलमानों को मैं भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने का पूरा प्रयास करुंगा और इसीलिए मैं भारतीय जनता पार्टी के अंदर आया हूँ।

आकाश- फिर भी आपको किस ज़िम्मेदारी की उम्मीद है? 
       मतलब आपको क्या क्या दिया जा सकता है?

कासमी साहब‍- अब मैं इस बात पे तो नहीं...मैं तो बिल्कुल एक राष्ट्रवादी विचारधारा का आदमी हूँ और मैं हमेशा राष्ट्र की सेवा को सर्वोपरि समझता हूँ। भाईचारा और हिन्दु मुस्लिम एकता मेरा मिशन रहा है। अगर पार्टी, मेरी पार्टी मुझे कोई भी ज़िम्मेदारी छोटी से छोटी, बड़ी से बड़ी‍ मैं उसे निभाने का प्रयास करुंगा। अपनी तरफ से मेरी कोई च्वायस नहीं होगी बल्कि वो पार्टी नेतृत्व का फैसला होगा। जो भी ज़िम्मेदारी मुझे देंगे उस पर खरा उतरने का मैं प्रयास करूंगा।
       
आकाश- उत्तर प्रदेश में हालिया ख़बर बलात्कार है। नेताओं के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयानों तथा सपा  सरकार की विफलता पर आपके क्या कहने हैं? 

कासमी साहब‍-जिस तरह से सपा सरकार के नवयुवक मुख्यमंत्री से प्रदेश के लोगों ने उम्मीद जताई थी या उनमें आशा व्यक्त की थी, उससे लोगों को निराशा हुई है। वो एक अच्छा शासन देने में विफल रहे हैं और मैं समझता हूँ कि जो बलात्कार की घटनाएँ हो रही हैं, हमारी माँ-बहनों का अपमान हो रहा है, इससे दुर्भाग्यपूर्ण कोई और बात हो ही नहीं सकती। और ऐसी सरकार को सरकार कहलाने का हक नहीं है, वो अपना नैतिक हक खो चुके हैं‍‍- मैं ऐसा महसूस करता हूँ। 

आकाश- आम आदमी पार्टी-‍ दिल्ली विधानसभा में "आप" छुपा रुस्तम निकली और केजरीवाल निकले इस जीत के नायक। पर मोदी की सुनामी में "आप" बह सी गयी। आप तो अरविंद जी के साथ टीम अन्ना की कोर कमिटी में रहे। इसलिए हम आपसे पूछना चाहेंगे कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी- क्या ये जनता का विश्वास खो चुके हैं?
              
कासमी साहब‍-  हाँ देखिए, इस से पहले दो आंदोलन हुए जेपी आंदोलन बहुत मशहूर... और 89 का जो आंदोलन था। अगर अरविंद केजरीवाल अपना तानाशाही रुख़ ना दिखाते तो देश के अंदर परिवर्तन आता... वो परिवर्तन जो मोदी जी के नेतृत्व में आया है वो अन्ना टीम के नेतृत्व में आता। मगर देश के लिए यह बहुत आशा की बात है कि जो देश परिवर्तन के लिए खड़ा हुआ था और अरविंद के अति महत्वाकांक्षी होने की बिनह पे जो लोग निराश हो गए थे, आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने आकर के उनकी निराशा को आशा में बदला है और जहाँ तक सवाल इस चीज़ का है कि जब अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के लोगों ने एक आधा अधूरा जनादेश दिया...इसलिए दिया था कि उसे निरंकुश तो नहीं करना चाहती थी दिल्ली की जनता मगर उसे देखना भी चाहती थी कि वो सरकार कैसे चलाता है। वो अच्छी सरकार नहीं चला सके और वो अपना वादा पूरा नहीं कर सके। जो आदमी दिल्ली की जनता को एक बार धोखा दे चुका है, दिल्ली के लोग अब उस पर विश्वास नहीं करेंगे मुझे ऐसा लगता है क्यूंकि दिल्ली देश का दिल है और देश का दिल कभी भी कोई ऐसी गलती नहीं करता जिससे उसे पछताना पड़े। अरविंद केजरीवाल अपने तमाम चीज़ों में बिलकुल बेनकाब हो चुके हैं... ना ही वो करप्शन विरोधी है और ना ही वो अच्छा सुशासन देने के लायक है। 

आकाश- तो क्या भाजपा और मोदी जी जनलोकपाल बिल लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं?  

कासमी साहब‍- देखिए, भारतीय जनता पार्टी ने पहले भी कांग्रेस की सरकार में बहुत स्पष्ट यह बात कही थी। और उन्होंने सबसे पहले और जिस वक्त हम लोगों ने मीटींग बुलाई थी तमाम लीडर्स की उस वक्त आज के मौज़ूदा रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री माननीय अरुण जेटली जी...वो आए थे और उन्होंने अपना विश्वास व्यक्त किया था और कहा था कि जनलोकपाल के प्रति हम समर्पित हैं और मैं समझता हूँ कि जिस तरह माज़ी में भारतीय जनता पार्टी ने अपना विश्वास दिलाया था, वो अपने विश्वास पे कायम रहेगी और एक ऐसा कानून ज़रुर लायेगी जिस से देश के अंदर व्यापक बदलाव आयेगा और पिछले दिनों आपने देखा होगा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने जो 2015 तक पार्लियामेन्ट के क्लीन होने की बात कही है वो बहुत ही स्वागतयोग्य कदम है... और मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी और मोदीजी के नेतृत्व के अंदर बदलाव आयेगा। लोकपाल मजबूत लोकपाल की शक्ल में आयेगा जिससे करप्ट लोगों के ऊपर अंकुश लगेगा। करप्शन के उपर रोक लगेगी और आम आदमी को राहत मिलेगी।
  आगे का इंटरव्यू जल्द ही...पढ़ते रहिये JeevanMag.com

आकाश कुमार जीवन मैग के प्रमुख संपादक हैं तथा सम्प्रति जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बारहवीं विज्ञान के छात्र हैं।


अमिनेष आर्यन जीवन मैग की संपादन समिति के सदस्य हैं तथा आपने इस वर्ष केन्द्रीय विद्यालय, कंकड़बाग, पटना से  मानविकी में बारहवीं उत्तीर्ण की है।



Friday 13 June 2014

गुलरेज़ शहज़ाद की ग़ज़ल

आह तहरीर हुई जाती है
शब की तामीर हुई जाती है

चुप हुए जाते हैं सारे मंज़र
कोई तस्वीर हुई जाती है
सुब्ह होने से भी होता क्या है
रात तक़दीर हुई जाती है
हर घड़ी तीर चलाते हैं ख्याल
याद शमशीर हुई जाती है
बात गुलरेज़ हम जो कह न सके
अब वो गम्भीर हुई जाती है

गुलरेज़ शहज़ाद विचारोत्तेजक शायरी की परंपरा के युवा संवाहक हैं. आप एक बेहतरीन रंगकर्मी तथा जीवन मैग के सलाहकार भी हैं.

Thursday 12 June 2014

अजनबी- अबूज़ैद अंसारी

राहों में चलते चलते
एक अजनबी मिला है
वाक़िफ़ नहीं हूँ उससे
अपना सा क्यूँ लगा है

छोटी सी गुफ़्तगू में
ढेरों सवाल मेरे
मासूम है बहुत वो 
जवाबों से लग रहा है

वो याद आता मुझको
मैं जब भी तन्हा होता
ना जाने उससे मेरा
कैसा ये रिश्ता है

हक़ीक़त खुदा है जाने
क्या हाल हैं अब उनके
शायद मेरे ही जैसा
कुछ हाल उनका है


हैरान है बहुत "ज़ैद"
ये क्या से क्या हुआ है
ऐसा नही था पहले
अब जैसा हो गया है




अबूज़ैद अंसारी  जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं.

ऑक्सफ़ोर्ड- विख्यात

बेटा- बाबू जी, अब हमनी के त ग्रेजुएशन हो गईल... 
सोचत बा मास्टर्स फोरेन युनिवेर्सिटी से कर लें.... 

लालू- ई त बड निक आईडिया बा हो.....
चल तोहार एड्मिसन ऑक्सफ़ोर्ड में करवा दूँ .... 
 बेटा- ना बाबू , वहां ते डिक्सनरी पढैत पढैत क त हमर जान निकल जेतय ....

विख्यात बड़बड़िया


(लेखक सनबीम स्कूल, वरुणा, बनारस

 में 11वीं कक्षा के छात्र हैं.)

(ये लेखक के अपने विचार/व्यंग्य हैं)


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