लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल।
नम होगी यह मिट्टी जरुर, आँसू के कण बरसाता चल॥
नम होगी यह मिट्टी जरुर, आँसू के कण बरसाता चल॥
प्रेम तो है बस मधुरिम गीत,
तू गीत इसी का गाता चल।
मिल जायेंगे प्रभु भी एक दिन,
दिल में तूफान बहाता चल॥
प्रेम का नाम है गुंजनवन,
तू भौंरा इसका बनता चल।
पंखों में बेड़ी बाँध न तू,
गहरी उड़ान बस भरता चल॥
प्रेमी का न तो नाम-पता,
न होता उसका कोई भू-स्थल।
प्रेम का भजन वो गाता है,
बन जाता है अविचल॥
प्रेम के राह में ठोकर हैं,
पाकर इसे जाते प्रेमी मचल।
जीना उन्हे् गवारा नहीं,
पर जी जाते हैं प्रेम के बल॥
By:- Sagar Sanjay , member of www.jeevanmag.tk
ReplyDeleteShantiniketan Jubilee School (Motihari)
Great poem by Pawan jee, i like it very much and hope frds u will also like.
By:- Sagar Sanjay , member of www.jeevanmag.tk
ReplyDeleteShantiniketan Jubilee School (Motihari)
Great poem by Pawan jee, i like it very much and hope frds u will also like.
क्या बात है!
ReplyDeletekyaa baat
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