राहों में चलते चलते
एक अजनबी मिला है
वाक़िफ़ नहीं हूँ उससे
अपना सा क्यूँ लगा है
छोटी सी गुफ़्तगू में
ढेरों सवाल मेरे
मासूम है बहुत वो
जवाबों से लग रहा है
वो याद आता मुझको
मैं जब भी तन्हा होता
ना जाने उससे मेरा
कैसा ये रिश्ता है
हक़ीक़त खुदा है जाने
क्या हाल हैं अब उनके
शायद मेरे ही जैसा
कुछ हाल उनका है
हैरान है बहुत "ज़ैद"
ये क्या से क्या हुआ है
ऐसा नही था पहले
अब जैसा हो गया है
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अबूज़ैद अंसारी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं.
एक अजनबी मिला है
वाक़िफ़ नहीं हूँ उससे
अपना सा क्यूँ लगा है
छोटी सी गुफ़्तगू में
ढेरों सवाल मेरे
मासूम है बहुत वो
जवाबों से लग रहा है
वो याद आता मुझको
मैं जब भी तन्हा होता
ना जाने उससे मेरा
कैसा ये रिश्ता है
हक़ीक़त खुदा है जाने
क्या हाल हैं अब उनके
शायद मेरे ही जैसा
कुछ हाल उनका है
हैरान है बहुत "ज़ैद"
ये क्या से क्या हुआ है
ऐसा नही था पहले
अब जैसा हो गया है
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अबूज़ैद अंसारी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं.
Bahut Khooob!!!
ReplyDeleteलाज़वाब!!!
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