कलियाँ फ़ूटे फले फसल
ख़ुशी से किसान चलायें हल
तुम बरसाओ ऐसा जल
ना बहे किसी का करुणा जल
चिड़िया फिर चहचहाने लगें
कलियाँ फिर लहलहाने लगें
हर ओर शांति हो हर पल
जान कर हर कोई जाए मचल
आने वाला सुखद है कल
जम कर बरसो प्यारे बादल
तुम हो कितने न्यारे बादल
ख़ुशी से किसान चलायें हल
तुम बरसाओ ऐसा जल
ना बहे किसी का करुणा जल
चिड़िया फिर चहचहाने लगें
कलियाँ फिर लहलहाने लगें
हर ओर शांति हो हर पल
जान कर हर कोई जाए मचल
आने वाला सुखद है कल
जम कर बरसो प्यारे बादल
तुम हो कितने न्यारे बादल
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अबूज़ैद अंसारी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में
बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ
से ताल्लुक़ रखते हैं. |
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