जनसत्ता के 'रविवारी' में छपी कविता नववर्ष....(5 जनवरी 2014)... |
हे! नववर्ष नूतन
तुम्हारा स्वागत !
स्वागत !
जन-जन से ,
तन-मन से,
नव जीवन-स्वप्न से, हर्षित नयन से ;
स्वागत !
कण-कण से ,
हर विजन से ,
गगन से ,नीर औ' पवन से ;
स्वागत !
नव्यसृजन से,
कनक वर्ण किरण से, नव कुसमित सुमन से
प्राण-मन अर्पण से |
नंदलाल मिश्रा
प्रबंध संपादक
जीवन मैग
www.jeevanmag.com
---Stay connected with us through Twitter--- www.twitter.com/jeevanmag-------
स्वागत !
जन-जन से ,
तन-मन से,
नव जीवन-स्वप्न से, हर्षित नयन से ;
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कण-कण से ,
हर विजन से ,
गगन से ,नीर औ' पवन से ;
स्वागत !
नव्यसृजन से,
कनक वर्ण किरण से, नव कुसमित सुमन से
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नंदलाल मिश्रा
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