मोबाईल क्षेत्र की अग्रगण्य कंपनियों में से एक, नोकिया की मार्केटिंग दिनोंदिन गिरती चली जा रही है। वह भी एक समय था जब नोकिया के मोबाईल्स सिर्फ नाम पर बिकते थे। जहाँ छोटे बजट वाले ग्राहकों के लिए इसका बैट्री बैकअप और टिकाऊ होना प्लस प्वाइंट्स थे, वहीं बड़ी बजट के ग्राहकों की जरुरतों के मुताबिक इनमें एडवांस्ड फीचर्स भी हुआ करते थे। पर अगर आज मोबाईल मार्केट की ओर नज़र उठा कर देखें तो हम पायेंगे कि सैमसंग, एप्पल इत्यादि कंपनियों ने नोकिया की बादशाहत छीन ली है। चलिए सुनते हैं नोकिया के मोबाईल मार्केट की कहानी, आँकड़ों की जुबानी। 1998 से 2011 तक मोबाईल मार्केट पर राज करने के बाद नोकिया 2012 में सैमसंग को अपना ताज़ दे बैठी। IHS सर्वे के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय मोबाईल बाज़ार में नोकिया का हिस्सा 2011 के 30% से लुढक कर 24% पर आ गया। सैमसंग ने 5% की बढत ली व 29% के साथ शीर्ष पर काबिज़ हो गया। स्मार्टफोन्स में तो नोकिया को एप्पल ने तीसरे स्थान पर धकेल दिया। वहीं भारतीय मार्केट की चर्चा करें तो नोकिया जबर्दस्त घाटे के बावजूद चोटी पर है। IDC India सर्वे के नतीजे बताते हैं कि नोकिया का हिस्सा 57% से घटकर 32% आ गया है। चीनी कंपनी जीफाइव आश्चर्यजनक तरीके से सैमसंग को पीछे छोड़ दूसरे नंबर पर आ गयी है। नोकिया व सैमसंग को माइक्रोमैक्स, कार्बन, इंटेक्स, जेन जैसी बड़ी कंपनियों से कड़ी टक्कर मिल रही है। 2007 में जहाँ नोकिया के शेयर का मूल्य $40 था, वहीं आज घटकर सिर्फ $3 रह गया है। हाल ही में लेनोवो द्वारा नोकिया के अधिग्रहण संबंधी अफवाह से इसमें तात्कालिक उछाल दर्ज की गयी। सूत्रों की मानें तो यह अफवाह नोकिया द्वारा ही फैलाई गयी थी।
चलिए अब उन कारणों पे नज़र डालते हैं जिन्होंने नोकिया की लोकप्रियता पर लगाम लगा दिया।
नोकिया ने समय के साथ खुद को नहीं बदला जिसका खामियाज़ा उसे भुगतना पड़ा। एंड्रायड व एप्पल स्मार्टफोन्स की तुलना में सिम्बियन स्मार्टफोन्स कहीं टिक न सके़। आज का ग्राहक नोकिया के सिम्बियन स्मार्टफोन्स के मुकाबले या तो एप्पल, सैमसंग या माइक्रोमैक्स, कार्बन इत्यादि के सस्ते एंड्रायड फोन्स को तवज्जो दे रहा है। हाल ही में नोकिया ने माइक्रोसौफ्ट के साथ समझौता कर लुमिया के विंडोज स्मार्टफोन्स की श्रृंखला जारी की पर वो भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाये। पहला कारण यह कि भले ही विंडोज कंप्यूटर OS मार्केट का बादशाह हो पर स्मार्टफोन बाज़ार में वह अभी भी एंड्रायड व एप्पल से काफ़ी पीछे है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि नोकिया के विंडोज आम आदमी के बजट में भी नहीं थे।
मोबाइल गिरते के मद्देनज़र नोकिया ने अपने फोन्स के दामों में कटौती की। पर यहाँ थोड़ी तकनीकी चूक हो गई जिसका नतीजा यह हुआ कि नोकिया के फोन अब पहले की भाँति टिकाऊ न रह गये। नोकिया के सस्ते 2690 इत्यादि फोन्स कई फीचर्स से लैस होने के बावजूद हैंगिंग की समस्या से ग्रस्त हैं।
हाँ, एक मामले में नोकिया के महँगे फोन्स आज भी सर्वश्रेष्ठ हैं... कैमरा, कार्ल जेईस की लेन्स से लैस नोकिया स्मार्टफोन्स के कैमरे आज भी इसके लिए प्लस प्वाइंट का कार्य कर रहे हैं।
बहरहाल, नोकिया को करना होगा बदलाव, नहीं तो जल्द ही डूबेगी उसकी नाव।
अगले अंक मेँ फिर मिलेंगे टेक जगत की ख़बरों के साथ।
धन्यवाद
ऋषभ अमृत
आकाश कुमार
nice.....
ReplyDeleteThanks.....
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