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Thursday 24 January 2013

गर्दभ का कमाल- अवनीन्द्र पाण्डेय



पटना में एक गर्दभ नामक गधा रहता था। नाम सुनकर आपके मन में एक बेवकूफ से जानवर का चित्र बन गया होगा। पर ये गधा काफी होशियार किस्म का गधा था। अजी इसकी होशियारी के किस्से हम क्या बतायें? इसने तो ब्रह्माजी से बोलने का वरदान ले लिया। खैर, वह वरदान वाली कहानी कभी और, आज हम आपको एक दूसरी कहानी ही बता देते हैं। बात वन्यजीव संरक्षण सप्ताह की, जब गर्दभ ने अख़बार में इसके बारे में पढ़ा। उसने इस बार कुछ करने की ठान ली। अजी हम क्या बतायें, गर्दभ जैसे होशियार जन्तु को भी यह सोचने में कि पटना में चिड़ियाघर भी है, 2 दिन लग गये।
फिर क्या था, जैसे ही उसके दिमाग में यह बात आयी वह चिड़ियाघर पहुँच गया। और वार्डेन से मिलकर अपनी इच्छा प्रकट की। वार्डेन ने कहा "देखो काम तो एक है पर शायद थोड़ा मुश्किल है। शेरु शेर के मरे हुए २ दिन हो गये और अभी शेरों की कमी है। सो अगर तुम शेर की खाल पहन कर बच्चों का दिल बहला सकते हो तो बहलाओ।" गर्दभ तैयार हो गया। बच्चे आते तो शेरा बच्चे गर्दभ को इसी नाम से जानते थे उनसे हाथ मिलाता। बच्चे चिड़ियाघर और जल्दी-जल्दी  आने लगे क्योंकि उन्हे शेर से हाथ मिलाना अच्छा लगता था। उधर शहर में शेरों को मारकर उनकी खाल  बेचने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय माफिया कालू भाई आ गया। उसने चिड़ियाघर से शेरों को पकड़ने की योजना बना डाली। एक रात गर्दभ के पिंजड़े में एक भालू घूस गया। धीरे धीरे वह उसकी तरफ बढने लगा। गर्दभ चिल्लाने ही वाला था कि भालू ने अपना मुखौटा हटाया और कहा, "घबड़ाओ नहीं, मैं आपकी तरह नकली हूँ।" वह एक आदमी था और उसका नाम था  रामू। फिर  दोनों ने जमकर बातें की फिर रामू अपने पिंजड़े में चला गया।अगली रात कालू भाई भालू की खाल पहन चिड़ियाघर में घूस, गर्दभ के पिंजड़े के पास आने लगा। अरे एक बात बताना ही भूल गया। उसने पहले पहरेदार को बेहोश कर दिया था। हाँ तो वह जब गर्दभ के पिंजड़े के पास जाने लगा तो गर्दभ ने सोचा कि वह रामू भाई है। पर भालू यानि कालू ने पास आकर गर्दभ को भी बेहोश कर दिया।जब गर्दभ की आँखें खूलीं तो उसने खूद को गाड़ी की एक सीट से बँधा पाया। अरे, गाड़ी क्या वह तो ट्रक था ट्रक। कालू भाई अपने साथियों से बातें कर रहा था। वह गर्दभ को मार उसके खाल निर्यात की बात कर रहा था। इतने में गर्दभ चिल्लाया "मेरी खाल ले लो लेकिन मूझे छोड़ दो।" सभी आश्चर्यचकित हो गए। तब गर्दभ ने पूरी बात बतायी। कालू भाई ने कहा "यह गधा हमारा राज जान गया है, इसे जान से मार देते हैं।" तब गर्दभ ने कहा "मरने वाले की आखिरी इच्छा तो पूरी कर दो।" कालू भाई ने पूछा "बताओ, तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है?" गर्दभ ने गाना गाने की इच्छा जाहिर की और ज़ोर ज़ोर से गाने लगा। बगल में पुलिस की गाड़ी में वार्डेन बैठा था। उसने गर्दभ की आवाज़ पहचान ली और इस तरह से कालू भाई का गिरोह पकड़ा गया। गर्दभ को उसकी बहादूरी का अवार्ड मिला और उसे स्थाई नौकरी मिल गई।

अवनीन्द्र कुमार पाण्डेय
छात्र बी.टेक चतुर्थ वर्ष
मिजोरम यूनिवर्सिटी
साभार BTSA द्वारा प्रकाशित बाल क्रान्ति

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