मित्रों,
छात्रों द्वारा भारत की पहली आनलाईन द्विभाषी पत्रिका जीवन मैग का तीसरा संस्करण आपके समक्ष पेश करते हुए हमारी टीम को असीम सुख की अनुभूति हो रही है। पत्रिका के पिछले दो अंकों के साथ साथ हमारी वेबसाईट www.jeevanmag.tk भी आप पाठकों का ढ़ेर सारा प्यार मिला और इस के लिए जीवन मैग टीम आप सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त करती है।
नये वर्ष ने दरवाजे पर दस्तक दे दी है और इस नवीन नूतन वर्ष से संबंधित दो कविताएँ इस अंक में हैं। २०१२ में दुनिया के खात्मे की सारी अफवाहें झूठी साबित हुईं और वैसे भी चिंता करने जैसी कोई बात नहीं थी क्योंकि CBI की सहायता से हमारी केन्द्र सरकार माया कैलेंडर को भी झूठलाने का दमखम रखती है। ठंड अपने क्लाइमेक्स पर है और मियाँ कपड़ों से लद सभी मोटे बन बैठे हैं। सुबह सुबह रजाई के आगोश से निकलने का मन नहीं करता। मैं सही कह रहा हूँ न दोस्तों?
ख़ैर, जाड़े के मौसम में भी इंडिया हाट है। दिल्ली की घटना के बाद जनता की रगों का उबाल निकल कर सामने आ गया है। जगह जगह विरोध प्रदर्शन और रैलियाँ, सिस्टम में एक कंप्लीट ओवरहाल की जरुरत की ओर इशारा कर रही हैं। इस घटना के प्रति हमारी टीम की संवेदनशीलता आप अंदर की कविताओं में देख सकते हैं। इधर, क्रिकेट जगत में भी सचिन के संन्यास ने हलचल पैदा कर दी है...पत्रिका का एक पन्ना उन्हें भी समर्पित है। कैरियर, टेक्नोलोजी और पर्यटन संबंधी आलेख,स्वास्थ्य संबंधी जानकारियाँ, पुस्तक समीक्षा, नागार्जुन की कविताएँ आदि भी हैं।
अभी तक के सुनहरे सफ़र में जीवन मैग ने सफलता की नई ऊँचाईयों को छूआ...मसलन जापान के अख़बार होन ने जीवन मैग पर केंद्रित एक समाचार का प्रकाशन किया और भारत में प्रमुख हिन्दी अख़बार दैनिक हिन्दुस्तान ने हमें प्रथम पृष्ठ पर जगह दी....हमारी पत्रिका को इस लायक समझने हेतु हिन्दुस्तान के पत्रकार अकील अहमद जी का शुक्रिया......
Kafi achcha prayas hai aapka....California me rahne wale NRI's ke beech Jeevan Mag kafi lokpriya ho chala hai...
ReplyDeleteVirendra randhawa
California U.S.A