
एक ही पर्वत से -
निकलती ये कई नदियाँ
उछलती- कूदती- इठलाती
गाती-झूमती बहारोँ मेँ
अलग-अलग
अपनी धाराओँ मेँ -
बहती ये कई नदियाँ
एक ही सागर से -
मिलती ये कई नदियाँ फिर धाराओँ का यह-
भेद कैसा ? यह तो है-
बस कर्तव्य जैसा
संपूर्ण धरा को
एक ही जल से -
सीँचती ये कई नदियाँ |

पटसा, समस्तीपुर
सदस्य (संपादन मंडल)
टीम जीवन मैग
Post a Comment
Please Share your views about JeevanMag.com