JeevanMag.com

About Us

कथा‍-कहानी

यह भी जानो!

अनमोल वचन

Monday 18 March 2013

बचपन के दिन- नंदलाल मिश्र

Childhood- the golden period
















मेरे जीवन मेँ बचपन की स्मृतियाँ अब याद बन कर रह गयी हैँ | मेरा भी
हँसता खेलता मुस्काता बचपन था... जो अपना था... आज सपना है.... वे भी क्या दिन थे
.. न कोई फिक्र थी न ही कोई समस्या या तनाव| किसी काम का
भी बोझ न था ...न पढाई लिखाई करनी पड़ती थी... न डांट फटकार सुनते थे... न
हम पर किसी का वश ही चलता...बस मनमौजी थे |इस आँगन से उस आँगन तक
दौड़ते-धूपते दिन ढल जाते... फिर सवेरा होता --नयी खुशियां मिलती और फिर
शाम ढ़ल जाती.... हर मौसम और उत्सव का आनन्द ग्रहण करते हुए वे दिन यूँ
ही बीतते चले गये |
तब दुनिया पूरी की पूरी खुली थी... आज सारे दरवाजे बंद हैँ.... मसलन अब व
स्वच्छंदता और मनमौजीपन न रहा |
तब मन  तमन्नाओं और ख्वाबोँ के समंदर मेँ गोता लगाता रहता.... और आज
वही  मन उन दिनोँ की सुनहरी, मनभावनी -सपनोँ भरी ज़िन्दगी  की स्मृतियोँ मेँ
तरंगित सा हो रहा है | एक ऐसी लहर उठती है... जो हृदय को स्पर्श करती
साहिल से परे हटती दूर-दूर तक ओझल हो जाती है ....तरसाती है......
लिखते वक्त ये एहसास होता हैकि सपने मनगढंत हो सकते हैँ... मगर मेरा
बचपन तो सच मेँ था फिर वह सपनोँ सा क्योँ लगता है !
तब भी धरती , आकाश, प्रकृति... को निहारता था अब भी देखता हूँ ... तब भी
हँसता था... अब भी मुस्काता हूँ ...मगर फर्क है --व जैसे निच्छलता से
लबालब भरा था... यह राग विराग के मुल्लमे से ढका है|
जीवन मेँ सुख - दुख, अमृत - विष ,अंधेरा - सवेरा .... सब कुछ है पर बचपन
इन सब से परे था .....जन्नत था |

नंदलाल मिश्रा

Post a Comment

Please Share your views about JeevanMag.com

A series of skype group conversations beetween students from India & Pakistan

A series of skype group conversations beetween students from India & Pakistan
Proudly sponsored by JeevanMag.com
 
Copyright © 2016 Jeevan Mag
Editor-in-chief Akash Kumar Executive Editor Nandlal Mishra Associate Editor AbuZaid Ansari Publisher Blue Thunder Student AssociationShared by WpCoderX
Blogger Widgets