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कथा‍-कहानी

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अनमोल वचन

Friday, 30 November 2012

धर्म-मजहब की सीमा- गुलाम कुन्दनम








 आत्मिक-रूहानी उन्नति का मार्ग,
बताना-दिखाना ही धर्म का कार्य,
पूजा - नमाज - अरदास - प्रार्थना
की विधियाँ बतायें इनके आचार्य.

फतवे-फरमान-आदेश-हिदायत,
जैसे नहीं हो अनुचित अधिकार,
सुझाव-सलाह तक सीमित रहें वो,
प्रसारित करें वो सिर्फ़ सुविचार.

इंसानियत-मानवता की कसौटी,
बने किसी भी कानून का आधार.
धर्म-मजहब की आड़ में कोई ,
करे न मानवता को तार -तार.


कपडे, खान-पान और कानून में धर्म-मजहब को घसीटा जाना अनुचित है. आधुनिक आयरलैंड में अन्धविश्वास-आधारित कानून की वजह से सविता हलप्पनवार की दुखद मृत्यु आज के आधुनिक युग में भी हमारे अन्धविश्वासी होने का प्रमाण है. पुरे विश्व समुदाय को धार्मिक नेताओं के अधिकारों की सीमा निर्धारित करने पर विचार करने की जरूरत है. आम जीवन में अनावश्यक दखल लगभग सभी धर्म - मजहब के नेताओं का देखा जाता है. दलीय वोट बैंक की राजनीती ने भी इन मान्यताओं को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया है. भारत में भी हर संप्रदाय में इसके उदहारण मौजूद हैं.
सविता हलप्पनवार
धार्मिक नेताओं का कार्य क्षेत्र पूजा-अर्चना और नैतिक शिक्षा-सलाह तक सीमित  रखकर, कानून का आधार इंसानियत-मानवता को बनाकर तथा राजनीती को दल रहित और लाभ रहित बनाकर नए और सुखी समाज की स्थापना की जा सकती है.

ॐ . ੴ . اللّٰه . † …….
Om.Onkar. Allâh.God…..
Jai Hind! Jai Jagat (Universe)!
                                                                           ----------- ग़ुलाम कुन्दनम 

Tuesday, 20 November 2012

Read Jeevan Mag August-December 2012 issue!!!



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Saturday, 17 November 2012

सच्ची दिवाली- आकाश कुमार

कब तक रहेगा शासक, तम?
तब तक, जब तक नहीं जागेंगे आप और हम।
आज प्रकाश के पुनीत-पर्व पर लें संकल्प,
समाज का करेंगे कायाकल्प।

तिमिर का होगा सफाया जग से,
विचलित  ना होना पथिक अपने 'जीवन मग' से।
नवीन मानव की नवीन गर्जना,
करेगी नवीन भारत की नवीन सर्जना।

छंट जायेगा मन का अँधियारा,
आएगी हर चेहरे पर हरियाली।
चमक उठेगा जग सारा,
और मनेगी सच्ची दिवाली।

                   ------आकाश कुमार (15 वर्ष)

Friday, 9 November 2012

मुश्किलों में घिरे गडकरी- प्रशांत कुमार

Gadkari in a fix
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर संकट के काले बादल मंडराने लगे हैं। गडकरी पहले से ही भ्रष्टचार के आरोपों और विवादों का सामना कर रहे हैं। अब गडकरी के खिलाफ पार्टी के भीतर भी बगावत शुरु हो गई है।
वकील और भाजपा नेता महेश जेठमलानी ने गडकरी पर हमला बोलते हुए पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया हैं। महेश ने इस्तीफा गडकरी के खिलाफ हाल में लगे भष्टाचार के आरोपों के कारण दिया। महेश जेठमलानी ने कहा था कि अगर गडकरी भाजापा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देते है तो वह पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारणी से हट जायेंगे। जेठमलानी का कहना है कि जब तक गडकरी पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहेंगे तब तक उनका राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बने रहना नैतिक तौर पर सही नहीं होगा।
महेश जेठमलानी का यह खुला हमला इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि संघ ने गडकरी के दूसरे कार्यकाल का फैसला पार्टी नेताओं के हाथ में दे दिया हैं। महेश के पिता व सिनियर वकील राम जेठमलानी भी गडकरी के इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। ऐसे में पार्टी में उनके खिलाफ विरोध से उन्हें दूसरा कार्यकाल मिलने की संभावना काफी कम नजर आ रही हैं।
 विवादित बयान
दूसरी तरफ, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के एक विवादित बयान ने भी उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं। गडकरी ने एक बयान में कहा कि स्वामी विवेकानंद और अंडरवलर्ड सरगना दाऊद इब्राहिम का आईक्यू एक समान हैं।
मध्य प्रदेश के एक दिवसीय प्रवास पर आए गडकरी ने राजधानी भोपाल स्थित रवींद्र भवन में आयोजित ओजस्वनी अलंकरण समारोह में यह विवादित बयान दिया। उन्होंने ने बुद्धिमत्ता कौशल की चर्चा करते हुए कहा कि विज्ञान की भाषा में कहें तो विवेकानंद और दाऊद का आईक्यू एक समान हैं। दाऊद ने इसका उपयोग विनाशकारी उद्देश्यों और गुनाह की दुनिया में किया तो वह उस काली दुनिया का शहंशाह बन गया और नरेंद्र ने इसका उपयोग समाज, देश और अध्यात्म के लिए किया तो वह विवेकानंद बन गए।
बयान से पलटे गडकरी
बाद में बयान के कारण विवाद की आशंका को देखते हुए नितिन गडकरी ने मीडिया द्वारा उनके बयान को गलत रूप से पेश करने की बात कही। गडकरी ने कहा कि उन्होंने दोनों के बैध्दिक स्तर की तुलना की थी, व्यक्तित्व की नहीं।
भोपाल में दिए गए उनके भाषण पर जब संवाददाताओं ने उनसे पुछा तो उन्होंने कहा कि मैंने स्वामी विवेकानंद और दाऊद इब्राहिम के बीच कोई तुलना नहीं की, मैंने कहा था अगर कोई व्यक्ति अपनी बुध्दि का इस्तेमाल करे तो वह विवेकानंद या फिर दाऊद बन सकता हैं।
भाजपा नेता बलबीर पुंज ने भी गडकरी का साथ देते हुए इससे इनकार किया कि गडकरी ने विवेकानंद की तुलना दाऊद से की है। पुंज ने कहा कि गडकरी ने विवेकानंद की तुलना दाऊद से नहीं की, उन्होंने सिर्फ दोनों के बीच के विरोधाभास को स्पष्ट किया था। गडकरी सिर्फ यह कह रहे थे कि किस तरह सत्ता, धन या बुध्दि अच्छे या बुरे कार्य के लिए उपयोग की जा सकती हैं।
इस नए विवाद के कारण गडकरी कांग्रेस के भी निशाने पर आ गए हैं। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि देश के किसी महान विचारक की तुलना एक कुख्यात आतंकवादी से करना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इससे भाजपा की मानसिकता सबके सामने आ गई हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गडकरी इन सभी संकटो का सामना कर अपने अध्यक्ष पद को बचा पाते हैं या नहीं।
प्रशांत कुमार
स्वतंत्र पत्रकार; व
सदस्य ,
टीम जीवन मैग
D-58B, South extension Part-1
 New Delhi-110049
E-mail ID- prashantkumar9560@gmail.com

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