तेरी वो मधुरिम मुस्कान,
नैन-तरकश के तीक्ष्ण बाण।
जो कर देते थे मुझको घायल,
जिन्हें देख मै हुआ तेरा कायल।
स्मरण होता है,
दिल तड़प-तड़प कर रोता है।
तेरे चेहरे का वो नूर,
था मेरे जीवनाकाश का सूर।
तेरा वो प्रकाशित तन,
प्रफुल्लित हो उठता था मेरा मन।
स्मरण होता है,
दिल तड़प-तड़प कर रोता है।
मिट गया उर का आलोक,
अब तो है केवल शोक ही शोक।
पर वो सुखद स्मृतियाँ रह गयी हैं अमिट,
नहीं भूल पाऊँगा तेरा वो प्रीत।
स्मरण होता है,
दिल तड़प-तड़प कर रोता है।
बह रहे असीमित नयन-रस,
टूट रहा अब ये अंतस।
सह नहीं पाऊँगा यह विरह-वेदना,
बंद कर मेरे ह्रदय को बेधना।
अब तो आजा मेरे मीत,
ढूंढ रहा तुझको तेरा प्रीत।
- आकाश कुमार
Hope you will like it...........Akash
नैन-तरकश के तीक्ष्ण बाण।
जो कर देते थे मुझको घायल,
जिन्हें देख मै हुआ तेरा कायल।
स्मरण होता है,
दिल तड़प-तड़प कर रोता है।
तेरे चेहरे का वो नूर,
था मेरे जीवनाकाश का सूर।
तेरा वो प्रकाशित तन,
प्रफुल्लित हो उठता था मेरा मन।
स्मरण होता है,
दिल तड़प-तड़प कर रोता है।
मिट गया उर का आलोक,
अब तो है केवल शोक ही शोक।
पर वो सुखद स्मृतियाँ रह गयी हैं अमिट,
नहीं भूल पाऊँगा तेरा वो प्रीत।
स्मरण होता है,
दिल तड़प-तड़प कर रोता है।
बह रहे असीमित नयन-रस,
टूट रहा अब ये अंतस।
सह नहीं पाऊँगा यह विरह-वेदना,
बंद कर मेरे ह्रदय को बेधना।
अब तो आजा मेरे मीत,
ढूंढ रहा तुझको तेरा प्रीत।
- आकाश कुमार
Hope you will like it...........Akash
Post a Comment
Please Share your views about JeevanMag.com