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Saturday, 22 June 2013

हँसी की एक कक्षा- आकाश कुमार


कवि - आकाश कुमार 
 प्रमुख संपादक (जीवन मैग)
(फेसबुक पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) 




एक कक्षा का है दृश्य-

शिक्षक कर रहे हैं छात्रों का इंतज़ार,
कक्षा में सबकी अनुपस्थिति कर रही उन्हें बेक़रार।
तभी दिख पड़ते हैं आते छात्र दो-चार,
मास्टर जी करते हैं उन पर शब्दों का वार-
कहाँ थे इतनी देर तलक?
सर, फेसबुक पर कर रहे थे बक-बक।
तो फिर आने की क्या थी ज़रुरत?
बंटने वाले हैं आज साईकिल के पैसे,
तो फिर हम आते नहीं कैसे?
जय-जय भारत भाग्य विधाता,
ऐसे पाजी बच्चों से अब तू ही बचा भारतमाता।
अरे बेवकूफों, तुम हो पढाई में साढ़े-बाईस,
आते हो स्कूल खाने करी और राइस।
आज जब प्रिंसिपल सर करेंगे तुम्हारा टेस्ट,
पाएंगे तुम सबको नीचे से बेस्ट।

अनुपम, तू बता कौन थे पृथ्वीराज?
सर, पृथ्वीराज थे फ़िल्मी दुनिया के सरताज़।
वाह नासपीटे कर दिया तूने कमाल,
अभी करे देता हूँ तेरे गाल लाल।
इतिहास की पुस्तक पढ़ी है,
या पढ़ी है फिल्म की?
सर, इतिहास की तो आप यहाँ पढ़ते हैं,
फिल्म की पढ़ पाता हूँ घर पर,
कहें तो आप को भी पढाऊँ ला कर।

चुप बे मुरख, रंजन तू बता-
हम पानी पीते हैं क्यूं?
सर, क्योंकि पानी को हम खा सकते नहीं यूं।

हे  भगवान, अब तू ही कर मेरा कल्याण,
घबराइए नहीं सर, ज़ल्द होगा आपका महाप्रयाण।
अबे गधे! शुभ-शुभ बोल।
सर, धीरे कहिये नहीं तो खुल जाएगी आपकी पोल।
हम अगर गधे, तो आप गधों के मास्टर  जायेंगे,
गधा  जगत में विशिष्ट स्तर को पाएंगे।

अच्छा, २१वीं सदी के भारत के उज्जवल भविष्य,
कुतुबमीनार कहाँ है, है पता?
नहीं सर। चल हो जा बेंच पर खड़ा।
सर, दिख नहीं रहा यहाँ से भी,
ओफ़्फ़्फ़ोह! करनी होगी शिकायत तेरे पिताजी से ही।
तेरा घर कहाँ है, तू बता?
सर, पोस्ट ऑफिस के सामने।
पोस्ट ऑफिस कहाँ है मुझे नहीं पता।
सर, मेरे घर के सामने।
अबे, दोनों कहाँ है ये बता।
सर, आमने-सामने।
ओह, ऐसे-ऐसों को पढाना ही है मेरी ख़ता।

तभी होता है प्रिंसिपल सर का प्रवेश,
शिक्षक महोदय के शब्द रहते जाते हैं शेष।
बच्चे हो जाते हैं खड़े।
मास्टर जी जा रहे हैं नीचे गड़े-गड़े।
बच्चों, करने जा रहा हूँ मैं तुम्हारी प्रगति की जांच,
आने ना देना अपने मास्टर जी की मेहनत पर आंच।

तुम बताओ अनुपम, फ्रांसीसी क्रांति कब शुरू हुई?
सर, १७८९ में।
वाह, बैठ जाओ।
तुम बताओ रंजन, होते कितने काल?
सर, तीन-  भूत, वर्तमान और भविष्यत् काल?
सच में इन्होंने पढाई की है लाजवाब।


प्रिंसिपल सर का जाना,

और मास्टर साहब की जान में जान आना।
बच्चों, मत किया करो इतना मजाक,
बताओ कोई प्रश्न पूछना है एट लास्ट।
सर, केवल पूछना रह गया है यह अब,
परीक्षा के प्रश्न-पत्र किस प्रेस में रहे हैं छप।

















------- नोट- जीवन मैग में प्रकाशित सामग्री के इस्तेमाल के लिए संपर्क करें  akash@jeevanmag.tk ------- बिना अनुमति प्रकाशन दंडनीय अपराध है-------


जीवन मैग जनवरी 2014 अंक से उद्धृत- मूल अंक यहाँ से डाउनलोड करें - https://ia600505.us.archive.org/7/items/JeevanMag4/Jeevan%20Mag%204.pdf

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