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अनमोल वचन

Friday, 6 December 2013

श्रद्धांजलि नेल्सन मंडेला (R.I.P Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला का निधन...
आपने दक्षिण अफ़्रीका की रंगभेदी सरकार के खिलाफ
लंबा अहिंसक संघर्ष किया और इसके लिए वे 27
साल तक जेल में रहे.
आपने साबित कर दिखाया कि गाँधीजी के सिद्धांत
समय और स्थान के परे हैं. आपको शांति के क्षेत्र में
अभूतपूर्व कार्य के लिए 1993 में नोबेल पुरस्कार से
सम्मानित किया गया।


Some Quotes from Mandela



1) Lead from the back —
let others believe they are in
front.



2) Resentment is like drinking
poison and then hoping it will kill
your enemies.



3) Do not judge me by my
successes, judge me by how
many times I fell down and got
back up again.



4) I hate race discrimination
most intensely and in its
manifestations. I have fought it
all during my life; I fight it now,
and will do so until the end of
my days.



5) A good head and a good
heart are always a formidable
combination.






टीम जीवन मैग की ओर से पुनीत श्रद्धांजलि

आकाश कुमार (प्रमुख संपादक)
नन्दलाल मिश्र (प्रबंध संपादक)
फैसल आलम - ऋषभ अमृत- आर्यन राज- आशुतोष पाण्डेय- आलोक कुमार वर्मा (जनसंपर्क अधिकारीगण)
कुलदीप कुमार- शाहिद इकबाल- अमिनेश आर्यन- सीमान्त प्रधान- पवन कुमार (संपादन मंडल)

Excerpted from Jeevan Mag January 2014. Download the PDF version of the magazine from here - https://ia600505.us.archive.org/7/items/JeevanMag4/Jeevan%20Mag%204.pdf

Tuesday, 3 December 2013

ये पानी है- सलीम मीर


न खुशबू है न बदबू है न ही इसमेँ कोई रंग है
मगर इंसान जब देखे तो रह जाता वह दंग है।
तो क्या चीज़ है ये जी अज़ब जिसकी कहानी है
ये पानी है ये पानी है ,ये पानी है ये पानी है ।

मिली यह साथ जिसके तो उसी का रंग लेती है
पियो जब प्यास लग जाये मजा ये खूब देती है।
सही है कि ये कुदरत भी खुद इसकी ही दीवानी है ये पानी है ये पानी है, ये पानी है ये पानी है ।

करे ये साफ गंदे को हटाये गंदगी को ये
है इंसा को बनाती लायक ऐ बंदगी के।
ये सही है कि ये कुदरत भी इसकी ही दीवानी है
ये पानी है ये पानी है, ये पानी है ये पानी है ।

जमीँ जो है ये इसकी ही वजह से ही है बहुत आबाद
इंसां औ' हैवां भी इसी के बदौलत हैँ साद।
सभी के पास इसकी बदौलत ही जवानी है
ये पानी है ये पानी है, ये पानी है ये पानी है ।

चढ़े पौधोँ पे छुप जाय ये पत्तोँ और मेवोँ मेँ
है हरेक चीज़ मेँ मौज़ूद यहाँ तक कि रेवोँ मेँ
मजा जिस चीज़ मेँ है सिर्फ इसकी मेहरबानी है
ये पानी है ये पानी है, ये पानी है ये पानी है ।

करो इसकी हिफ़ाज़त तुम रखो इसको साफ़ जी अगर ये नहीँ होता तो न होती यहाँ जिँदगी भी।
इसी के दम से निकला 'सलीम' की ये जुबानी है
ये पानी है ये पानी है, ये पानी है ये पानी है ।




(सलीम मीर फिलहाल क्लस्टर इनोवेशन सेँटर ,दिल्ली विश्वविद्यालय मेँ सहायक प्राध्यापक हैँ ।आप अनंतनाग, जम्मू और कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं। यह कविता आपने अपने बचपन के दिनोँ मेँ लिखी थी जिसे बिना किसी काट छाँट के प्रकाशित किया गया है ।)

A series of skype group conversations beetween students from India & Pakistan

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