JeevanMag.com

About Us

कथा‍-कहानी

यह भी जानो!

अनमोल वचन

Saturday, 15 February 2014

तिरहुत में विहार (यात्रा वृतांत)- आकाश कुमार


World's largest Buddhist Stupa- Keshariya (Bihar)
मासिक पत्रिका 'सत्याग्रह टाइम्स' में प्रकाशित जीवन मैग के प्रमुख संपादक आकाश कुमार का यात्रा संस्मरण-



 



















( आकाश कुमार जीवन मैग के प्रमुख संपादक हैं। आप मोतिहारी, बिहार से ताल्लुक रखते हैं व सम्प्रति जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में ग्यारहवीं विज्ञान के छात्र हैं.)

साभार- सत्याग्रह टाइम्स फरवरी 2012
जीवन मैग जनवरी 2014

Sunday, 9 February 2014

Aman Ka Paigam Indo-Pak Students webinar

इंसान का हो इंसान से भाईचारा, यहीं पैगाम हमारा We are going to start....a series of facebook live chat every saturday night between HINDUSTANI and PAKISTANI school students in order to improve the relations of both the countries. If you are a school student and want to participate in this program, Please drop us a line at akash@jeevanmag.tk or nandlal@jeevanmag.tk. You can also call us at +91 7827992817 or +91 9631021440.
Director- Nandlal Mishra

Powered by JEEVAN MAG (www.jeevanmag.tk)
Connect with us- www.facebook.com/jeevanmag



Photo credit- www.insidetheblackhole.wordpress.com
http://www.indiapakistanpeace.org

डायरीनामा- नंदलाल मिश्रा

इस स्तंभ मेँ हम प्रस्तुत करते हैँजीवन मगके सदस्य लेखकोँ के डायरी से चुने बेहतरीन पन्ने। पहली कड़ी मेँ पेश है नहीँ के बराबर डायरी लिखने वाले नंदलाल की फटी पुरानी डायरी से यह दुर्लभ पन्ना....

14 जनवरी 2012

वे कहते हैँ 'गर सुबह का भूला शाम को घर लौट आये तो भूला नहीँ कहलाता'....सोचता हूँ लौट आया हूँ। ख़ैर हूँ भी तो एक भटका हुआ मुसाफिर ही.... घर है ठिकाना....बस अपनी आवारगी मेँ है चलते जाना... सफलता-विफलता तो जीवन के अनिवार्य पहलू हैँ...हार एक सच्चे जीत की राह तय करती है। बस हमेँ हिम्मत नहीँ हारनी चाहिए..... डर कर कभी नौका पार नहीँ होती, कोशिश करने वालोँ की हार नहीँ होती।  नेपथ्य से एक प्रेरणात्मक प्रवाह एक पुकार लिए आती है... पाकर जीवन मेँ पहली विफलता पथ भूल जाना पथिक कहीँ।

जीवन मग पर लौटते हुए सत्यम शिवम सुन्दरम् के साथ एक असीम साहस की आत्मानुभुति होती है। इसे तराश कर सही और सटीक दिशा मेँ मोड़ दिया जाए तो सफलता दूर नहीँ रह जाती है फ़ैज़ के अल्फाज़ों मेँ-     दिल ! ये फ़कत तो एक घड़ी है हिम्मत कर, जीने को उम्र पड़ी है।                                                               वे कहा करते थे - सफलता और ऊँचाई हासिल करना आसान है किंतु इसे बनाये रखना बेहद कठिन मालूम है पतन उसी का होता है जिसका उत्थान , इसलिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ....  मेरे प्रभु ! वो ऊँचाई कभी मत देना कि गैरोँ को गले लगा सकूँ ये रुखाई कभी मत देना

जीवन की कठिन राह मेँ सुख-दुख , अमृत-विष , सवेरा-अँधेरा , सफलता-विफलता , राग-विराग तथा आशा-निराशा सब कुछ है एक के बिना भी जीवन सूना है बकौल गुप्त जी-
                       नर हो, निराश करो मन को,
                      कुछ काम करो, कुछ काम करो,
                      जग मेँ रहकर कुछ नाम करो!



यह सब सोच साहस का एक कदम आगे बढाता हूँ कि यकायक दिलोदिमाग मेँ एक मर्मभेदी आहट सी होती है..... मुझसे मिलने को कौन विकल,मैँ होऊँ किसके हित चंचल. यह प्रश्न शिथिल करता पद को भरता उर मेँ विह्वलता है....अकेलेपन का यह एहसास, सदा से साथ निभाने की आकांक्षा को रेत के घरौँदे की तरह ढहा देता है....अकेला हूँ मैँ.... किंतु मैँने सुना है 'दुनिया मेँ नहीँ जिसका कोई उसका खुदा है'....गर वो भी मुकर जाये तो कम से कम मेरा 'अकेलापन' तो सदा सर्वदा मेरे संग है … रवीँद्रनाथ की मर्मस्पर्शी प्रेरणा है -एकला चलो रे....सो तय है अब चलना पड़ेगा...नीर ढलता भला और साधु चलता भला


 रुक जाना नहीँ तू ज़िंदगी से हार के काँटोँ पे चल के मिलेँगेँ साये बहार के। चलते-चलते लबों पर ये तराना उतर आता है....तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले, अपने पे भरोसा है तो ये दाँव लगा ले....ये दाँव आगामी ज़िंदगी का ही दाँव है ... सोच लिया है- लगा लूँगा...पक्का ! जब नाव जल मेँ छोड़ दी, तूफान ही मेँ मोड़ दी, दे दी चुनौती सिंधु को, फिर पार क्या मँझधार क्या।
सोचता हूँ......नदी के मध्य मेँ पहुँच कर लौटने से बेहतर है कि आगे का ही सफर जारी रखा जाए.....




नंदलाल मिश्रा
(लेखक जीवन मैग के प्रबंध संपादक हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय में बी.टेक मानविकी- प्रथम वर्ष के छात्र हैं.)






जीवन मैग जनवरी 2014 अंक से उद्धृत- मूल अंक यहाँ से डाउनलोड करें - https://ia600505.us.archive.org/7/items/JeevanMag4/Jeevan%20Mag%204.pdf

हिंदी साहित्य के क्लासिक्स-१- रोटी और संसद

Literature @ its best- Chosen classics   


                                               
एक आदमी रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है

एक तीसरा आदमी भी है
जो रोटी बेलता है, रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है

मैं पूछता हूँ--
'
यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।



- सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’





(हिन्दी साहित्य की साठोत्तरी कविता के शलाका पुरुष स्व. सुदामा पाण्डेय धूमिल अपने बागी तेवर व समग्र उष्मा के सहारे संबोधन की मुद्रा में ललकारते दिखते हैं। तत्कालीन परिवेश में अनेक काव्यान्दोलनों का दौर सक्रिय था, परंतु वे किसी के सुर में सुर मिलाने के कायल न थे। उन्होंने तमाम ठगे हुए लोगों को जुबान दी। कालांतर में यही बुलन्द व खनकदार आवाज का कवि जन-जन की जुबान पर छा गया। )

Friday, 7 February 2014

चन्द शेर अर्ज- राघवेन्द्र त्रिपाठी "राघव"


कि हमने " सचिन " को देखा था





आने वाली नस्लें, रश्क करेंगी हम-अश्रों,
कि हमने " सचिन " को देखा था ||

ये उनको आप कहने का नतीजा निकला
वो तुम से तू तक चले आये हैं आजकल ||     
                              
तेरे शहर में मय में भी नहीं होता ,
जो नशा मेरे शहर के पानी में हैं ||

तुझसे मिलने की एक धुंधली सही उम्मीद मुझे है |
इसी चराग के दम पर तो शब्--ज़िन्दगी कटती है||


तुझसे मिलने की तमन्ना लिए दिल में अपने,                                           
तेरे शहर में हर बार आता हूँ, चला जाता हूँ |               



(राघवेन्द्र त्रिपाठी "राघव" क्लस्टर इन्नोवेशन सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। आपकी उर्दू साहित्य में गहरी अभिरुचि है।)         



जीवन मैग जनवरी 2014 अंक से उद्धृत- मूल अंक यहाँ से डाउनलोड करें - https://ia600505.us.archive.org/7/items/JeevanMag4/Jeevan%20Mag%204.pdf



HINDUISM & ISLAM



What is HINDUISM?   
सांप्रदायिक सद्भाव
      
H =      Humanity         मानवता                                                                   
I =        Integrity           एकता                                      
N =      Nobility            उदारता                                                        
D =      Divinity             ईश्वरत्व                                                         
U =      Universalism   विश्वबंधुत्व                                                             
I =       Intelligence      ज्ञान                                          
S =      Service              सेवा                                                                              
M =    Meditation       ध्यान

Harshit Aggarwal 


What is ISLAM?       
                            
I=     Iman in Allah            अल्लाह में ईमान   
                   
S=    Serenity in living      जीवन में पवित्रता   
   
L=    Longing for peace  शान्ति की अभिलाषा 
     
A=   Acceptance of truth  सत्य की स्वीकार्यता 
     
M=  Message of love        प्रेम का संदेश


Alina Hasan

XI Science

Jamia Millia Islamia







जीवन मैग जनवरी 2014 अंक से उद्धृत- मूल अंक यहाँ से डाउनलोड करें - https://ia600505.us.archive.org/7/items/JeevanMag4/Jeevan%20Mag%204.pdf



A series of skype group conversations beetween students from India & Pakistan

A series of skype group conversations beetween students from India & Pakistan
Proudly sponsored by JeevanMag.com
 
Copyright © 2016 Jeevan Mag
Editor-in-chief Akash Kumar Executive Editor Nandlal Mishra Associate Editor AbuZaid Ansari Publisher Blue Thunder Student AssociationShared by WpCoderX
Blogger Widgets