बातों ही बातों में जो बात, बात बनते बनते बात बनकर बात बन जाती है उस बात के पीछे भी कोई बात हो अथवा ना हो किंतु परन्तु के संदर्भ में उस बात को बात बनाकर बातों ही बातों में उड़ा देना भी एक बात है. इसका मतलब ये हुआ कि हरेक बात बात बनें या ना बनें लेकिन बातों ही बातों में बात बनकर उड़ जाने के तत्पश्चात उस बात का निरूपण इस बात के साथ किया जाना चाहिए कि बात फिर से किसी बात को लेकर बातों ही बातों में बात ना बन जाए. इक बात मैं भी आपको बता दूँ कि जो बात मैं बाताऊँगा उस बात का सम्बन्ध भी किसी बात से होना उतना ही लाजमी है जितना कि इस बात का सम्बन्ध उस बात से. अब ये भी सत्य है कि जब वो बात भी किसी ना किसी बात से ही उभरी हुई है तो क्यूँ ना उस बात को भी इस बात के साथ बातों ही बातों में बात बनाकर उड़ा दिया जाए. खैर . . . मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ है . . . और दूसरे लफ़्जो में ये भी इक बात ही है.
कुमार शिवम् मिश्रा जीवन मैग की संपादन समिति के सदस्य हैं. आप कॉमर्स कॉलेज, पटना में अंग्रेजी स्नातक (द्वितीय वर्ष) के छात्र हैं.
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