अभी तू रुक गया है क्यों
तुझे तो दूर जाना है
जहाँ कोई नहीं पहुँचा
वहाँ तेरा ठिकाना है
अभी ना हार हिम्मत तू
तू फिर से चल रुख-ए-मंज़िल
सफ़र काँटों भरा है
इन पे तुझको चल के जाना है
तेरा मेयार औरों से तो
ज़्यादा है नहीं लेकिन
बिना पंखों के फिर भी
आसमां छू कर दिखाना है
तुझे तो दूर जाना है
जहाँ कोई नहीं पहुँचा
वहाँ तेरा ठिकाना है
अभी ना हार हिम्मत तू
तू फिर से चल रुख-ए-मंज़िल
सफ़र काँटों भरा है
इन पे तुझको चल के जाना है
तेरा मेयार औरों से तो
ज़्यादा है नहीं लेकिन
बिना पंखों के फिर भी
आसमां छू कर दिखाना है
अबूज़ैद अंसारी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं. |
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