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अनमोल वचन

Saturday, 28 March 2015

स्वर्णिम बिहार

मौर्य-मगध का केंद्र-बिंदु हो,
क्रांति की अंगड़ाई हो। 

वर्तमान को दिया दिखाते,
स्वर्णिम भूत की परछाई हो।


भोज-अंग-मिथिला का स्वर हो,
वज्जी-मगही का तराना हो

'पञ्चबजना' की स्वरलहरी पर,
विद्यापति का गाना हो


जाट-जटिन का प्रेमनृत्य हो,
'कोहबर' की फूलकारी हो। 

'अरिपन' की तुम उज्जवल रचना,
'मधुबनी' की चित्रकारी हो


सारण के तुम रास-रंग हो,
चम्पारण की बुद्धि हो। 

शाहाबाद की तुम हो वीरता,
दरभंगा की विद्या हो


गंगा के तुम पावन जल हो,
कोसी-कमला के जाये हो। 

नारायणी की गोद में बैठे,
सुन्दर रूप बनाए हो


उदयिन-अशोक हैं पुत्र तुम्हारे,
सीता भी तो जाई है। 

गाँधी-बुद्ध आगंतुक तेरे,
महावीर के भाई हो


जी करता है जन्म-जन्म मैं,
गोद तुम्हारे हीं खेलूँ। 

भारतवर्ष का बेटा बनकर,
नाम "बिहारी" कहलाऊं । 


(फोटो क्रेडिट: बिहार ऑनलाइन)

अंकित कुंदन दुबे छात्र, स्वतंत्र टिप्पणीकार तथा जीवन मैग के टीम मेंबर हैं। आप पूर्वी चंपारण, बिहार से आते हैं और फेसबुक पर "आपन टिकुलिया" नामक ऑनलाइन ग्रामीण समुदाय के संचालक हैं। वर्तमान में पढाई के सिलसिले में नयी दिल्ली में प्रवास है।

1 comment :

  1. बहुत बढ़िया ! आपका नया आर्टिकल बहुत अच्छा लगा www.gyanipandit.com की और से शुभकामनाये !

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