जामिया स्कूल Jamia Schools |
मेरे हाथ थरथराए
कहने की बारी अलविदा
आँखों में आंसू आये
हम क़ाफ़िला थे अब तक
क़तरा क़तरा थे समुन्दर
अब टूट कर बिखर कर
कल किस तरफ़ को जाएँ
उस्तादों के हैं एहसान जो
हम ना चुका सकेंगे
ग़लती भी हो हमारी तो
देते हैं ये दुआएंं
है जामिया का आँगन
मेरी माँ की गोद जैसा
बचपन के दिन गुज़ारे
और दोस्त भी बनाए
रौशन शमा जो इल्म की
इस जामिया से मिली
इसको जलाये रखना
ईमान-ए-हक़ बनाए
है जामिया की अज़मत
कंधों पे अब तुम्हारे
आगे बढ़ोगे अब तुम
रखना इसे बनाए
मायूस कितना दिल है
कि हम दूर हो रहें हैं
ताउम्र हम रखेंगे
यूँ दिल से दिल मिलाये
बहुत खामोश रहता है
मगर नादाँ नही है "ज़ैद"
उसे आवाज़ बनना है
जिसे सदियों सुना जाए
अबूज़ैद अंसारी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं. |
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