मेरे बचपन का मुझे सारा ज़माना याद है।
माँ तेरी आग़ोश में वो मुस्कुराना याद है।
थपकियाँ देना तेरा लोरी सुनना याद है।
मेरी खुशियों के लिए वो गुनगुनाना याद है।
उँगलियों को थाम कर चलना सिखाना याद है।
माँ की ममता का मुझे सारा फ़साना याद है।
मेरी नन्ही आह पर आँखों का नम होना तेरा
मेरी राहत के लिए वो रात भर जगना तेरा
मुझको रोता देख कर दौड़े हुए आना तेरा
अपने आँचल के तले वो गोद में लेना तेरा
रात में जुगनू दिखा मुझको डराना याद है
माँ तेरी शफ़क़त का हर किस्सा फ़साना याद है।
ये जो मेरी ज़िन्दगी है, माँ का ही एहसान है।
माँ की अज़मत पर न्यौछावर ज़िन्दगी और जान है
-वसीम अहमद अलिमि
माँ तेरी आग़ोश में वो मुस्कुराना याद है।
थपकियाँ देना तेरा लोरी सुनना याद है।
मेरी खुशियों के लिए वो गुनगुनाना याद है।
उँगलियों को थाम कर चलना सिखाना याद है।
माँ की ममता का मुझे सारा फ़साना याद है।
मेरी नन्ही आह पर आँखों का नम होना तेरा
मेरी राहत के लिए वो रात भर जगना तेरा
मुझको रोता देख कर दौड़े हुए आना तेरा
अपने आँचल के तले वो गोद में लेना तेरा
रात में जुगनू दिखा मुझको डराना याद है
माँ तेरी शफ़क़त का हर किस्सा फ़साना याद है।
ये जो मेरी ज़िन्दगी है, माँ का ही एहसान है।
माँ की अज़मत पर न्यौछावर ज़िन्दगी और जान है
-वसीम अहमद अलिमि
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