आज पैरों से लिपट रो पड़ा भारत
जीवन मैग जनवरी 2014 अंक से उद्धृत- मूल अंक यहाँ से डाउनलोड करें - https://ia600505.us.archive.org/7/items/JeevanMag4/Jeevan%20Mag%204.pdf
बचपन की रंगत में भीख मांग रहा भारत।
मासूम उस चेहरे से झलक रही थी आशा
पैरों से विकलांग वो मांग रहा था पैसा।।
बालों सी उलझी उसकी भविष्य की रेखाएँ थीं
जीवन में उसकी अनगिनत सीमाएँ थीं।
सैकड़ों यात्रियों ने उसकी हथेली पर कुछ रुपये
रखे थे
शायद वो मंदिर-मस्ज़िद नहीं था जहाँ लोग पेटी
भरते थे।।
वो अक्श ढ़ूँढ़ता रहा एक पालिसदार खंभे में
अपनी ही परछाई से कंधा मिला चल पड़ा भारत।
अपने ही लोगों से भीख मांग रहा भारत
अचानक स्टेशन पे आज पैरों से लिपट
रो पड़ा भारत।।
अमिनेष आर्यन केंद्रीय
विद्यालय,कंकड़बाग, पटना में बारहवीं मानविकी के छात्र हैं। आप हाजीपुर, बिहार से ताल्लुक रखते हैं और कम्युनिज़्म में आपकी गहरी श्रद्धा है।)
जीवन मैग जनवरी 2014 अंक से उद्धृत- मूल अंक यहाँ से डाउनलोड करें - https://ia600505.us.archive.org/7/items/JeevanMag4/Jeevan%20Mag%204.pdf
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