राह के पत्थर हटाते
चलना
पथ पर फूल बिछाते
चलना
अन्धेरे तो मिलेंगें
ही मिलेंगें
पर तुम च़िराग
हो, ख़ुद को जलाते चलना |
लक्ष्य पथ पर निडर
हो चलना
गिर ना जाओ संभल
के चलना
समय के दुश्मन
तो रोकेंगें ही रोकेंगें
पर तुम कमान हो, ख़ुद को तीर बनाते
चलना |
आँधी में भी मगन
हो चलना
भंवर में भी सबल
हो चलना
सागर की लहरें
तो डुबोयेंगीं ही डुबोयेंगीं
पर तम माँझी हो, ख़ुद को पतवार
बनाते चलना ||
- ब्रजमोहन
(आप हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक
एवं हरफ़नमौला व्यक्तित्व हैं|)
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