आजकल बिहार के मुख्यमंत्री को अपने काम से ज़्यादा बयान पर ध्यान देना होता है,काम पर क्यों ध्यान दे ये तो चलता रहेगा पर उनकी गाड़ी का क्या अब खिसकने में कुछ ही दिन जो रह गये हैं। वैसे भी सुशासन बाबु जो काम पर ध्यान लगाए हुए हैं ही,लालू जी भी तो उनका सहयोग दे ही रहे हैं। सीएम जीतन जी के घर में आपको राम जी के जगह नीतीश जी की फोटो मिलेगी क्योंकि जीतन जी के लिए ये पुरुष ही नही महापुरूष हैं! भला,इस घोर कलयुग में जहां अपने बस की कुर्सी नही छोड़ते, इन्होने सीएम की कुर्सी छोड़ दी ! (बात को दबा के रखिये; नमोफोबिया वाले हैं हमसब )
बेचारे नीतीश जी के दाव उल्टे पड़ गये रिमोट कंट्रोल वाली सरकार बनाने चले थे,पर ये तो "आउट ऑफ़ कवरेज एरिया" हो गया! राजनीतिक अस्थिरता के कारण राज्य में विकास कार्य पिछले 2 साल से ठप पड़े हैं। इन सबके ज़िम्मेदार नीतीश कुमार हैं।
लोकसभा में मजदूरी मांग रहे थे जो खुद दुसरे (राज्य कर्मचारी) को देने से इतराते रहे, सड़क पर लठवाते रहे....जनता सब याद रखती है।
*मिला ना बाबा जी का ठुल्लू*
मिला तो गिरिराज को जो चुनाव में गधे की तरह रेंकते रहे,अब सुस्ताने के लिए डेल्ही में हैं।
** मांझी के तराने....
जीतन ने मंदिर से पकड़े चूहे को नीतीश का विदेशी भक्त बताते हुए अपने प्रधानमंत्री बनने से पहले 5000रु देकर बीजेपी के साथ इसकी अस्थि गंगा में बहाने का सपना देख रहे है।
"कड़वा" भी इसलिऐ लगता हूँ लोगों को!
क्योंकि सच बोलता हूँ!
आप कहो तो "मीठा" हो जाऊँ.
फिर ये न कहना...
"बहुत झूठ बोलते हो यार.."
आलोक कुमार वर्मा कॉलेज ऑफ़ वोकेशनल स्टडीज दिल्ली विश्वविद्यालय |
****लेख के विषय-वस्तु से संपादन मंडली का राज़ी होना ज़रूरी नहीं है.***
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