उन ख़ामोश पत्थरों
में दफ़न थीं हज़ारों अनसुनी कहानियाँ जो
सदियों सें गंगा
की सुरमयी लहरों
को निहारते उस
किले में किसी
निर्जीव की तरह जड़
दिए गए थे…
चुनार के लाल पत्थर की आभा अब धूमिल हो चुकी थी। जो कुछ लाली बची थी वो खुद को सूर्यास्त के किरणों के साथ संवार रही थी, गंगा के दर्पण में खुद को निहार रही थी। वो आज भी सीना तान खड़े होने की ज़ुर्रत में थी कि माँझी के पतवार ने उसके घमंड को अस्थिर कर दिया।
काशी नरेश की ये कोठियां बनारस राज के शान की प्रतीक हैं। उस शाही झरोखे की तरफ़ आज भी उसी आदर व सम्मान की तरह देखा जाता हैं जैसे कभी काशी नरेश को शिव का उत्तराधिकारी माना जाता था... और शायद आज भी।
इस बात का साक्षात प्रमाण है कि प्रत्येक वर्ष रामनगर की भव्य रामलीला का शुभारम्भ राजा साहब अपने हाथों सें करते थे। जिस तरह पुरी महाराज का महत्व रथयात्रा के लिये उसी तरह काशी नरेश रामलीला के लिये....वहीँ रुतबा, वहीँ शाही सवारी, वहीँ शानो शौकत...और वहीँ सजदे में झुकते दिल।
कहते हैं.....
चुनार के लाल पत्थर की आभा अब धूमिल हो चुकी थी। जो कुछ लाली बची थी वो खुद को सूर्यास्त के किरणों के साथ संवार रही थी, गंगा के दर्पण में खुद को निहार रही थी। वो आज भी सीना तान खड़े होने की ज़ुर्रत में थी कि माँझी के पतवार ने उसके घमंड को अस्थिर कर दिया।
काशी नरेश की ये कोठियां बनारस राज के शान की प्रतीक हैं। उस शाही झरोखे की तरफ़ आज भी उसी आदर व सम्मान की तरह देखा जाता हैं जैसे कभी काशी नरेश को शिव का उत्तराधिकारी माना जाता था... और शायद आज भी।
इस बात का साक्षात प्रमाण है कि प्रत्येक वर्ष रामनगर की भव्य रामलीला का शुभारम्भ राजा साहब अपने हाथों सें करते थे। जिस तरह पुरी महाराज का महत्व रथयात्रा के लिये उसी तरह काशी नरेश रामलीला के लिये....वहीँ रुतबा, वहीँ शाही सवारी, वहीँ शानो शौकत...और वहीँ सजदे में झुकते दिल।
कहते हैं.....
"The king is always a king whether he
has his state or not. He was, he is and he will be the king in the heart of
his people."
इतिहास के इन्हीं पलों को संजोये रामनगर का किला जर्जर लेकिन जर्रा जर्रा जीवित प्रतीत होता है।
दिल बनारसिया की पहली कड़ी यहाँ पढ़ें- http://www.jeevanmag.com/2014/07/blog-post_16.html
दिल बनारसिया की दूसरी कड़ी यहाँ पढ़ें- http://www.jeevanmag.com/2014/09/dil-banarasiya-2.html
इतिहास के इन्हीं पलों को संजोये रामनगर का किला जर्जर लेकिन जर्रा जर्रा जीवित प्रतीत होता है।
(अमिनेष आर्यन काशी
हिन्दू विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र स्नातक प्रथम वर्ष के छात्र
हैं। अमिनेष मूलरूप से बिहार के हाजीपुर से सम्बन्ध रखते हैं और जीवन मैग
की संपादन समिति के सदस्य हैं।)
Facebook: www.facebook.com/aminesh.aryan |
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दिल बनारसिया की दूसरी कड़ी यहाँ पढ़ें- http://www.jeevanmag.com/2014/09/dil-banarasiya-2.html
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