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Monday, 8 September 2014

दिल बनारसिया-2- रामनगर की रामलीला- अमिनेष

"दिल बनारसिया" श्रृंखला कि अगली कड़ी में- "रामनगर की रामलीला"

"कइसन घरनी ,केकर घर नेमी चललन रामनगर.."
उक्त पंक्ति बनारसी लहजे की एक नुमाइंदगी भर है जो रामलीला की महत्ता को दर्शाती हैं ...बनारस का दिल लंका मे बसता है...लंका वो जगह है जहाँ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का सिंहद्वार स्थित है और जहाँ से एक रास्ता गंगा पार रामनगर की हवेली को जाता है। मैंने ताकीद की आख़िर इस जगह को लंका क्यूँ कहा जाता है? यह नाम काशी की उस परंपरा की देन है जिसमें गंगा पार रामनगर को अयोध्या तथा गंगा इस पार इस जगह को रावण की लंका मानकर एक खुले विशाल थियटर के रूप मे प्रयुक्त कर काशी नरेश हर शारदीय नवरात्र के उपलक्ष्य मे रामलीला का आयोजन करवाते थे। वक्त के साथ यह महत्वाकांक्षी आयोजन सिर्फ रामनगर तक ही सिमट गया और लंका नाम लोगो के जेहन मे बस गया। 
 
(अमिनेष आर्यन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र स्नातक‍ प्रथम वर्ष के छात्र हैं। अमिनेष मूलरूप से बिहार के हाजीपुर से सम्बन्ध रखते हैं और जीवन मैग की संपादन समिति के सदस्य हैं।)
Facebook: www.facebook.com/aminesh.aryan




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