कुछ राज़ जो मेरे दिल में हैं
दिल में ही दफ़न हो जाएंगे
कोई बात जो उनसे थी कहनी
अल्फ़ाज़ नहीं बन पाएंगे
उस रात बहुत मैं रोया था
जब नज़रें उन्होने फेरीं थी
उम्मीद नहीं थी उनसे ये
वो ऐसे मुझे ठुकराएंगे
इज़हार-ए-मुहब्बत करने को
वो मेरी खता क्यों मान रहे
वो हाथ मेरा ग़र थामेंगे
हम दूर, बहुत दूर जाएंगे
मैं रेत के उभरे टीलों सा
वो तेज़ हवाओं का झोंका
वो पास मेरे जब गुज़रेगा
हम कुछ तो बिखर से जाएंगे
कुछ राज़ जो मेरे दिल में हैं
दिल में ही दफ़न हो जाएंगे
कोई बात जो उनसे थी कहनी
अल्फ़ाज़ नहीं बन पाएंगे
कहीं भी मैं चला जाऊं
या कश्ती में या वीरां में
शब होगी जहाँ मेरी
वो मुझको याद आएंगे
दिल में ही दफ़न हो जाएंगे
कोई बात जो उनसे थी कहनी
अल्फ़ाज़ नहीं बन पाएंगे
उस रात बहुत मैं रोया था
जब नज़रें उन्होने फेरीं थी
उम्मीद नहीं थी उनसे ये
वो ऐसे मुझे ठुकराएंगे
इज़हार-ए-मुहब्बत करने को
वो मेरी खता क्यों मान रहे
वो हाथ मेरा ग़र थामेंगे
हम दूर, बहुत दूर जाएंगे
मैं रेत के उभरे टीलों सा
वो तेज़ हवाओं का झोंका
वो पास मेरे जब गुज़रेगा
हम कुछ तो बिखर से जाएंगे
कुछ राज़ जो मेरे दिल में हैं
दिल में ही दफ़न हो जाएंगे
कोई बात जो उनसे थी कहनी
अल्फ़ाज़ नहीं बन पाएंगे
कहीं भी मैं चला जाऊं
या कश्ती में या वीरां में
शब होगी जहाँ मेरी
वो मुझको याद आएंगे
अबूज़ैद अंसारी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं. |
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