अंधेरी रात,
पैदल मुसाफ़िर,
अकेले सुनसान सी सड़क
की ओर कदम बढ़ाता।
थका हारा,
प्यासा,
विचलित,
डसती हुई तनहाई।
कोसों दूर मंज़िल,
उसी की तलाश में,
उत्सुक,
आवारा।
लौ की भांति
टिमटिमाती,
आशा की किरण,
दिखी और बुझी।
जोश,
उत्साह,
साहस,
सब धरे के धरे रह गये।
अभिनव सिन्हा
अररिया पब्लिक स्कूल
अररिया
वाह भाई!
ReplyDeletebahoot khub
ReplyDelete