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Thursday, 26 June 2014

देखो बादल बरस रहे हैं- अबूज़ैद अंसारी

नील गगन हुआ श्यामल श्यामल,
मेघों ने साम्राज्य बसाया। 
जल को जन क्यों तरस रहे हैं ?
देखो बादल बरस रहे हैं।

अणु-अणु हुआ शीतल-शीतल
ठंडी मलय व ठंडा सा जल। 
अधरों पर मुस्काहट लेकर
नभ को सब जन तक रहे हैं।

देखो बादल बरस रहे हैं।

पौधों-पत्तों में हरियाली
जन-जन में फैली खुशहाली
धरती के गर्भ से अब अंकुर
फ़ूट-फ़ूट कर उपज रहे हैं।

देखो बादल बरस रहे हैं।

अबूज़ैद अंसारी  जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं.

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