नील गगन हुआ श्यामल श्यामल,
मेघों ने साम्राज्य बसाया।
जल को जन क्यों तरस रहे हैं ?
देखो बादल बरस रहे हैं।
अणु-अणु हुआ शीतल-शीतल
ठंडी मलय व ठंडा सा जल।
अधरों पर मुस्काहट लेकर
नभ को सब जन तक रहे हैं।
देखो बादल बरस रहे हैं।
पौधों-पत्तों में हरियाली
जन-जन में फैली खुशहाली।
धरती के गर्भ से अब अंकुर
फ़ूट-फ़ूट कर उपज रहे हैं।
देखो बादल बरस रहे हैं।
मेघों ने साम्राज्य बसाया।
जल को जन क्यों तरस रहे हैं ?
देखो बादल बरस रहे हैं।
अणु-अणु हुआ शीतल-शीतल
ठंडी मलय व ठंडा सा जल।
अधरों पर मुस्काहट लेकर
नभ को सब जन तक रहे हैं।
देखो बादल बरस रहे हैं।
पौधों-पत्तों में हरियाली
जन-जन में फैली खुशहाली।
धरती के गर्भ से अब अंकुर
फ़ूट-फ़ूट कर उपज रहे हैं।
देखो बादल बरस रहे हैं।
अबूज़ैद अंसारी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नयी दिल्ली में बारहवीं कक्षा के छात्र हैं. आप जीवन मैग के सह-संपादक हैं और नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक़ रखते हैं. |
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