दो-तीन दिनों से मेरे कान पक गये कि वैदिक जी एक आतंकवादी से मिले और ये काम तो बिना ISI या सरकार की सहायता के किसी पत्रकार के लिए संभव नहीं है.
हर टीवी चैनल पे, हर अख़बार में यहीं चर्चा है. विपक्ष सरकार को घेर रही है और सरकार अपने आप को पाक-साफ़ बता रही है जैसे उनका इस पूरे मामले से कोई नाता ही ना हो. सदन मे हंगामेबाज़ी ,सोशियल साइट्स पे कमेंटबाज़ी और टीवी पे बहसबाज़ी हो रही है. सड़कों पे पुतले फूंके जा रहे हैं.
सबको लगता है की शायद इससे पहले कोई आदमी मिला ही नही टेररिस्ट से. अक्सर ये चर्चा हमें फिल्म स्टार्स और अंडरवर्ल्ड के संबंधों के बारे में सुनने को मिलती है. (संजय दत्त, अनिल कपूर, सलमान ख़ान -दाऊद इब्राहिम). राहुल गाँधी वैदिक जी को RSS का आदमी बता रहे हैं तो कुछ भाजपा नेता कह रहे हैं कि राहुल पहले ख़ुद की पार्टी के बारे में पड़ताल कर लें.
इन सब बातों को छोड़ दें तो एक पत्रकार को पूरा हक़ है कि अपने काम को गोपनीय तरीके से अंज़ाम दे पर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो और यह एक गंभीर मुद्दा बन गया हो तो ये वैदिक जी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है. हम सभी ये जानते है की मीडिया हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होती है और मीडीया से जुड़े किसी भी संगीन मामले पे सरकार को सजग हो असरकार कारवाई करनी चाहिए. बाकी इन सभी घटनाओं ने पत्रकारिता को किस पैमाने पे लाकर खड़ा कर दिया है ये हम सभी अपनी आँखों से देख रहे हैं.
मुझे याद है मैंने कुछ साल पहले BBC के एक पत्रकार की नक्सलियों से बातचीत रेडियो पर सुनी थी. कई पश्चिम के पत्रकारों द्वारा लिए गये आतंवादियों के इंटरव्यू हमने पत्रिकाओं में पढ़ीं भी हैं. ये वो पत्रकार होते हैं जो निर्भीक और निष्पक्ष होकर पत्रकारिता किया करते हैं. पर यहाँ माज़रा कुछ और ही है- एक ओर जहाँ पाकिस्तान के एक चैनल को दिए गये इंटरव्यू मे वैदिक कश्मीर को अलग होने देने पर अपनी सम्मति जाहिर करते है तो दूसरी तरफ़ हिन्दुस्तान में कहते हैं कि ऐसा अगर होगा तो मेरे सर को धड़ से अलग करने के बाद होगा.
ये सारी बातें भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है. वैदिक जी के इस कथित इंटरव्यू पर सवाल भी उठता है जो कि किसी भी जर्नल मे प्रकाशित नहीं हुआ. ये कैसा इंटरव्यू है??? साथ ही कश्मीर मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देकर उन्होने अपने लिए एक और मुसीबत खड़ी कर दी. वैदिक जी के साथ ना तो हिन्दुस्तान के पत्रकार आ रहे हैं और पाकिस्तान के पत्रकार भी इस मुद्दे पर उनके साथ खड़े नही दिख रहे हैं.
अब तो बस इनके इंटरव्यू का इंटरव्यू हो रहा है.
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