यह आँसु पलकों पे आने दो ज़रा
इन्हेँ ना रोको बहने दो ज़रा।
यह आँखो मे बसा प्यार हैँ
रिश्तो का एहसास हैँ।
कुछ वायदे हैँ,
कुछ कसमेँ हैँ,
वो पल हैं जब पल-पल हम साथ थे
वो बीते कल हैं जब हाथोँ- हाथ मेँ हाथ थे।
इन्हे अब बहने दो ज़रा।
इन्हेँ ना रोको,
इन्हेँ ना पोँछो,
उनके साथ चले जाने दो ज़रा।
जो लौटने कि बात कह
अनंत के राही हो गए।
क्या है अनंत में
जो उन्हेँ भा गया?
अपनी हाथोँ जो दुनिया बसाई
उन्हे बह जाने दो ज़रा।
ना रोको यह दर्द
जो खुशी, जो प्यार दिल मेँ हैँ
पलकों पे आने दो ज़रा।
यह जिनकी अमानत हैँ
उनके साथ जाने दो ज़रा।
यह आँसू पलको पे आने दो ज़रा।
इन्हेँ ना रोको बहने दो ज़रा।
यह आँखो मे बसा प्यार हैँ
रिश्तो का एहसास हैँ।
कुछ वायदे हैँ,
कुछ कसमेँ हैँ,
वो पल हैं जब पल-पल हम साथ थे
वो बीते कल हैं जब हाथोँ- हाथ मेँ हाथ थे।
इन्हे अब बहने दो ज़रा।
इन्हेँ ना रोको,
इन्हेँ ना पोँछो,
उनके साथ चले जाने दो ज़रा।
जो लौटने कि बात कह
अनंत के राही हो गए।
क्या है अनंत में
जो उन्हेँ भा गया?
अपनी हाथोँ जो दुनिया बसाई
उन्हे बह जाने दो ज़रा।
ना रोको यह दर्द
जो खुशी, जो प्यार दिल मेँ हैँ
पलकों पे आने दो ज़रा।
यह जिनकी अमानत हैँ
उनके साथ जाने दो ज़रा।
यह आँसू पलको पे आने दो ज़रा।
अमिनेष आर्यन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र स्नातक के प्रथम वर्ष के छात्र हैं और हाजीपुर, बिहार से ताल्लुक रखते हैं। |
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