उस पागलख़ाने के उन दोनों पागलों का बस एक ही काम था - सुबह से
शाम तक तकरीबन ढाई सौ गज़ की दूरी पर खड़े दो विशाल पेड़ों के बीच
परस्पर हाथ में हाथ डाले संजीदे चेहरे से गहरी फिलोसोफ़िकल बातें करते
हुए चहलकदमी करना|
एक तीसरा पागल जो उतना गंभीर नहीं था चुपचाप उनका अनुसरण कर
रहा था |
उस दिन मुझसे रहा ना गया और मैं उनकी गंभीरता को समझने हेतु
उनदोनों की तरफ़ अनिमेष देखने लगा | तभी तीसरा
मेरी तरफ इशारा करते हुए बोल पड़ा - क्या देखते हो उन्हें, वे पागल हैं
पागल |
नंदलाल मिश्रा
प्रबंध संपादक - जीवन मैग www.jeevanmag.com
कार्यक्रम समन्वयक, डीयू कम्युनिटी रेडियो
बी.टेक मानविकी (द्वितीय वर्ष),
दिल्ली विश्वविद्यालय
साभार- जीवन मैग फ़रवरी मार्च २०१४ अंक
पूरी पत्रिका PDF में डाउनलोड करें
CLICK HERE TO DOWNLOAD PDF
शाम तक तकरीबन ढाई सौ गज़ की दूरी पर खड़े दो विशाल पेड़ों के बीच
परस्पर हाथ में हाथ डाले संजीदे चेहरे से गहरी फिलोसोफ़िकल बातें करते
हुए चहलकदमी करना|
एक तीसरा पागल जो उतना गंभीर नहीं था चुपचाप उनका अनुसरण कर
रहा था |
उस दिन मुझसे रहा ना गया और मैं उनकी गंभीरता को समझने हेतु
उनदोनों की तरफ़ अनिमेष देखने लगा | तभी तीसरा
मेरी तरफ इशारा करते हुए बोल पड़ा - क्या देखते हो उन्हें, वे पागल हैं
पागल |
नंदलाल मिश्रा
प्रबंध संपादक - जीवन मैग www.jeevanmag.com
कार्यक्रम समन्वयक, डीयू कम्युनिटी रेडियो
बी.टेक मानविकी (द्वितीय वर्ष),
दिल्ली विश्वविद्यालय
साभार- जीवन मैग फ़रवरी मार्च २०१४ अंक
पूरी पत्रिका PDF में डाउनलोड करें
CLICK HERE TO DOWNLOAD PDF
Post a Comment
Please Share your views about JeevanMag.com